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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh PalEr by proffesion Arun kumar jain is a writer who has written more than 2000 articles,poetry,short stories ,fiction,novel,stories,journey articles,taiks and lots for kids. he has his U Tube chennel,Blog etc. made programm for door darshan also.he is dedicated for plantation,green earth,Clean invoirnment,education for poor and sium areas.associated with MAMa leading organigation for service of mankind. Read More...
Er by proffesion Arun kumar jain is a writer who has written more than 2000 articles,poetry,short stories ,fiction,novel,stories,journey articles,taiks and lots for kids. he has his U Tube chennel,Blog etc. made programm for door darshan also.he is dedicated for plantation,green earth,Clean invoirnment,education for poor and sium areas.associated with MAMa leading organigation for service of mankind. his novel Sanjog is awarded by govt of India in 2007 with more than 50 award from various leading organisations.He is associated with JES and so many good organisations.In the age of 60+ he is happly busy in creative activities.
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नींव का पत्थर श्री अरुण कुमार जैन की साठ से अधिक मार्मिक लघुकथाओं का संकलन है। लगभग 2 दशक पूर्व लिखी गयीं ये लघुकथाएँ आपके मर्मस्थल को स्पर्श करती है। इनमें सारा जीवन कठोर श्रम क
नींव का पत्थर श्री अरुण कुमार जैन की साठ से अधिक मार्मिक लघुकथाओं का संकलन है। लगभग 2 दशक पूर्व लिखी गयीं ये लघुकथाएँ आपके मर्मस्थल को स्पर्श करती है। इनमें सारा जीवन कठोर श्रम कर बच्चे को शिखर तक पहुँचाने वाली केवल माँ है, तो अपनी छुट्टी के लिए परेशान सामान्यकर्मी भी है, घर के अनुशासन से परेशान किशोर है, तो कठोर हृदय वाले अमीरों के बीच दयावान युवक भी है। सास के ताने सहकर शिखर छूने वाली रागनी है तो परिस्थितियों से सीखने वाली आशा माँ है। दोहरे मापदंड रखने वाली श्रीमती चौधरी हैं, तो कार्यालय में बेबस घर के शेर मिस्टर तेजपाल हैं। ट्रेन के स्लीपर डिब्बों में रोज घटित होने वाली रोचक कथाएँ आपको कुछ देंगी। नस्ल सुधार आपको उलझन दे सकती है, तो सहयोग भाव काम कराने का रास्ता बताएगी। अपनी-अपनी में बुढ़ापे की मनोदशा है तो लत में आज का यथार्थ है। साहब के दोहरे चिंतन को बतायेगी तो मेमसाब नारी के स्वभाव को। पुनर्जन्म में आपको अपना बिंब दिख सकता है तो लावा भी किसी बहिन बेटी की व्यथा कहती लगेगी। मेहनत में हजारों युवाओं की वेदना है जो बड़े लोगों के बीच शोषित होने को अभिशप्त है। उसकी दीमक से दूर रहना ही श्रेयस्कर है, पिघलती आस्था मानव की चपलता, अस्थिरता की अभिव्यक्ति है जहाँ डिगाने वाली नारी ही श्रद्धेया बन जाती है। दर्द की अनुभूति हर धर्म की करुणा व अनुराग की पुकार है। दुनियादारी व दोस्त दुश्मन जैसे बिंब समाज में बहुत देखने को मिलते हैं। देवता हर व्यक्ति के विभिन्न रूप बताती है तो खुली हवा प्रेरणा देगी। रेत के घरोंदे, प्रेरणा देगी, नींव का पात्थर भावुक करेगी तो हलाहल चिंतन की ओर ले जायेगी। दंभ की कालिख निश्चित रूप से प्रेरक लगेगी तो सह अनुभूति व अपना बेटा मन को द्रवित करेगी।
नींव का पत्थर श्री अरुण कुमार जैन की साठ से अधिक मार्मिक लघुकथाओं का संकलन है। लगभग 2 दशक पूर्व लिखी गयीं ये लघुकथाएँ आपके मर्मस्थल को स्पर्श करती है। इनमें सारा जीवन कठोर श्रम क
नींव का पत्थर श्री अरुण कुमार जैन की साठ से अधिक मार्मिक लघुकथाओं का संकलन है। लगभग 2 दशक पूर्व लिखी गयीं ये लघुकथाएँ आपके मर्मस्थल को स्पर्श करती है। इनमें सारा जीवन कठोर श्रम कर बच्चे को शिखर तक पहुँचाने वाली केवल माँ है, तो अपनी छुट्टी के लिए परेशान सामान्यकर्मी भी है, घर के अनुशासन से परेशान किशोर है, तो कठोर हृदय वाले अमीरों के बीच दयावान युवक भी है। सास के ताने सहकर शिखर छूने वाली रागनी है तो परिस्थितियों से सीखने वाली आशा माँ है। दोहरे मापदंड रखने वाली श्रीमती चौधरी हैं, तो कार्यालय में बेबस घर के शेर मिस्टर तेजपाल हैं। ट्रेन के स्लीपर डिब्बों में रोज घटित होने वाली रोचक कथाएँ आपको कुछ देंगी। नस्ल सुधार आपको उलझन दे सकती है, तो सहयोग भाव काम कराने का रास्ता बताएगी। अपनी-अपनी में बुढ़ापे की मनोदशा है तो लत में आज का यथार्थ है। साहब के दोहरे चिंतन को बतायेगी तो मेमसाब नारी के स्वभाव को। पुनर्जन्म में आपको अपना बिंब दिख सकता है तो लावा भी किसी बहिन बेटी की व्यथा कहती लगेगी। मेहनत में हजारों युवाओं की वेदना है जो बड़े लोगों के बीच शोषित होने को अभिशप्त है। उसकी दीमक से दूर रहना ही श्रेयस्कर है, पिघलती आस्था मानव की चपलता, अस्थिरता की अभिव्यक्ति है जहाँ डिगाने वाली नारी ही श्रद्धेया बन जाती है। दर्द की अनुभूति हर धर्म की करुणा व अनुराग की पुकार है। दुनियादारी व दोस्त दुश्मन जैसे बिंब समाज में बहुत देखने को मिलते हैं। देवता हर व्यक्ति के विभिन्न रूप बताती है तो खुली हवा प्रेरणा देगी। रेत के घरोंदे, प्रेरणा देगी, नींव का पात्थर भावुक करेगी तो हलाहल चिंतन की ओर ले जायेगी। दंभ की कालिख निश्चित रूप से प्रेरक लगेगी तो सह अनुभूति व अपना बेटा मन को द्रवित करेगी।
'मधुर स्पन्दन' किशोरावस्था से अनभूत होने वाले अद्भुत, अलौकिक, स्वप्रिल प्रेम -संसार को लेकर प्रौढ़ावस्था तक इसके विभिन्न स्वरुपों को दर्शाने वाला एक अनुपम दस्तावेज है। इस पुस्तक
'मधुर स्पन्दन' किशोरावस्था से अनभूत होने वाले अद्भुत, अलौकिक, स्वप्रिल प्रेम -संसार को लेकर प्रौढ़ावस्था तक इसके विभिन्न स्वरुपों को दर्शाने वाला एक अनुपम दस्तावेज है। इस पुस्तक में उस अद्भुत सुख की अनुभूति है, जो दो प्रेमियों को मिलने पर होती है, साथ ही बिछुड़ने पर या न मिल पाने पर होने वाले वियोग को भी इसमें दर्शाया है।
प्रेम एक अलौकिक अनुभूति है, जिसने किया, जिससे किया सिर्फ उन्हें ही इस सुखद अनुभूति का रसास्वादन मिलता है। प्रेम पवित्र है, सृजनात्मक है, प्रेरक है| विश्वास है, मधुर स्पन्दन की कविताएँ किशोर, युवा वर्ग द्वारा सराही जाएँगी।
'मधुर स्पन्दन' किशोरावस्था से अनभूत होने वाले अद्भुत, अलौकिक, स्वप्रिल प्रेम -संसार को लेकर प्रौढ़ावस्था तक इसके विभिन्न स्वरुपों को दर्शाने वाला एक अनुपम दस्तावेज है। इस पुस्तक
'मधुर स्पन्दन' किशोरावस्था से अनभूत होने वाले अद्भुत, अलौकिक, स्वप्रिल प्रेम -संसार को लेकर प्रौढ़ावस्था तक इसके विभिन्न स्वरुपों को दर्शाने वाला एक अनुपम दस्तावेज है। इस पुस्तक में उस अद्भुत सुख की अनुभूति है, जो दो प्रेमियों को मिलने पर होती है, साथ ही बिछुड़ने पर या न मिल पाने पर होने वाले वियोग को भी इसमें दर्शाया है।
प्रेम एक अलौकिक अनुभूति है, जिसने किया, जिससे किया सिर्फ उन्हें ही इस सुखद अनुभूति का रसास्वादन मिलता है। प्रेम पवित्र है, सृजनात्मक है, प्रेरक है| विश्वास है, मधुर स्पन्दन की कविताएँ किशोर, युवा वर्ग द्वारा सराही जाएँगी।
पुस्तक के बिषय में
"चलो बनायें संस्कारित संसार "यह कृति देश भर के प्रसिद्ध रचनाकारों के वह प्रेरक विचार व समाधान हैं, जो आज हर घर परिवार, समाज, नगर, गाँव व देश की प्रथम आवश्यकता
पुस्तक के बिषय में
"चलो बनायें संस्कारित संसार "यह कृति देश भर के प्रसिद्ध रचनाकारों के वह प्रेरक विचार व समाधान हैं, जो आज हर घर परिवार, समाज, नगर, गाँव व देश की प्रथम आवश्यकता है. नयी पीढ़ी में तेजी से घटते नैतिक मूल्यों पर चिंता व्यक्त करते हुये, जैन इंजिनयर्स सोसाइटी फ़रीदाबाद इकाई द्वारा आयोजित राष्ट्रीय निबंध प्रतियोगिता का नवनीत है यह कृति.
नई पीढ़ी माता, पिता, भाई, बहिन अपने सभी परिजनों, धर्म, संस्कार, समाज, देश व नैतिक मूल्यों से हृदय से कैसे जुड़े, यह इन लेखों में समाहित है.
75 से अधिक प्राप्त आलेखों में से 32 श्रेष्ठ आलेखों को पुरस्कृत कर उन्हीं को इस कृति में समावेसित किया है. इनके लेखकों में 17 वर्ष से लेकर 77 वर्ष तक के विद्वान् मनीषी हैं, जो दिल्ली, उप्र, मप्र, महाराष्ट्र, बिहार, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, राजस्थान प्रांतो के प्रतिनिधित्व करते हैं.
इन आलेखों से आप जानेंगे कि कैसे आज भी संयुक्त परिवार,सुखी परिवार समृद्ध परिवार, सहयोगी परिवार की कल्पना को साकार किया जा सकता है.
मोबाइल, नेट, मिडिया,व विश्व भर की उन्मुक्त, फूहड़, उत्तेजक,मादक नाशवान व क्षणिक सुख देने वाली संस्कृति ने युवा पीढ़ी को उस अंधकार की ओर धकेल रखा है, जहाँ भ्रम, मृग मारिचिका के आलावा कुछ भी नहीं है.
पुस्तक के बिषय में
"चलो बनायें संस्कारित संसार "यह कृति देश भर के प्रसिद्ध रचनाकारों के वह प्रेरक विचार व समाधान हैं, जो आज हर घर परिवार, समाज, नगर, गाँव व देश की प्रथम आवश्यकता
पुस्तक के बिषय में
"चलो बनायें संस्कारित संसार "यह कृति देश भर के प्रसिद्ध रचनाकारों के वह प्रेरक विचार व समाधान हैं, जो आज हर घर परिवार, समाज, नगर, गाँव व देश की प्रथम आवश्यकता है. नयी पीढ़ी में तेजी से घटते नैतिक मूल्यों पर चिंता व्यक्त करते हुये, जैन इंजिनयर्स सोसाइटी फ़रीदाबाद इकाई द्वारा आयोजित राष्ट्रीय निबंध प्रतियोगिता का नवनीत है यह कृति.
नई पीढ़ी माता, पिता, भाई, बहिन अपने सभी परिजनों, धर्म, संस्कार, समाज, देश व नैतिक मूल्यों से हृदय से कैसे जुड़े, यह इन लेखों में समाहित है.
75 से अधिक प्राप्त आलेखों में से 32 श्रेष्ठ आलेखों को पुरस्कृत कर उन्हीं को इस कृति में समावेसित किया है. इनके लेखकों में 17 वर्ष से लेकर 77 वर्ष तक के विद्वान् मनीषी हैं, जो दिल्ली, उप्र, मप्र, महाराष्ट्र, बिहार, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, राजस्थान प्रांतो के प्रतिनिधित्व करते हैं.
इन आलेखों से आप जानेंगे कि कैसे आज भी संयुक्त परिवार,सुखी परिवार समृद्ध परिवार, सहयोगी परिवार की कल्पना को साकार किया जा सकता है.
मोबाइल, नेट, मिडिया,व विश्व भर की उन्मुक्त, फूहड़, उत्तेजक,मादक नाशवान व क्षणिक सुख देने वाली संस्कृति ने युवा पीढ़ी को उस अंधकार की ओर धकेल रखा है, जहाँ भ्रम, मृग मारिचिका के आलावा कुछ भी नहीं है.
Short stories are creations of a small event, when it touches our
heart. Most of these are designed for train journeys, my work site,
home, park during any function, occasions, accident or
celebration. As these are having a touching since liked by you all.
To date I have written more than 300 short stories and have
published most of the renowned papers including SAHITYA AMRIT
DELHI. Chhatarpur Times Chhatarpur MP published continuously<
Short stories are creations of a small event, when it touches our
heart. Most of these are designed for train journeys, my work site,
home, park during any function, occasions, accident or
celebration. As these are having a touching since liked by you all.
To date I have written more than 300 short stories and have
published most of the renowned papers including SAHITYA AMRIT
DELHI. Chhatarpur Times Chhatarpur MP published continuously
these till one year. These also got the opportunity to be broadcast
through AIR and USA.
Short stories are creations of a small event, when it touches our
heart. Most of these are designed for train journeys, my work site,
home, park during any function, occasions, accident or
celebration. As these are having a touching since liked by you all.
To date I have written more than 300 short stories and have
published most of the renowned papers including SAHITYA AMRIT
DELHI. Chhatarpur Times Chhatarpur MP published continuously<
Short stories are creations of a small event, when it touches our
heart. Most of these are designed for train journeys, my work site,
home, park during any function, occasions, accident or
celebration. As these are having a touching since liked by you all.
To date I have written more than 300 short stories and have
published most of the renowned papers including SAHITYA AMRIT
DELHI. Chhatarpur Times Chhatarpur MP published continuously
these till one year. These also got the opportunity to be broadcast
through AIR and USA.
The novel has a beautiful story which moves along with its rhythm
which includes many beautiful qualities of literature. It has
beautifully depicted the beauty of nature, whether it is the
description of Puri beach, the dolphin area, the scenic beauty of
Satpaura or the villages on the train journey from Allahabad to Sone,
in all these places, this beauty emerges. There is a captivating portrayal of childish nature through Chhaloni
(Sal
The novel has a beautiful story which moves along with its rhythm
which includes many beautiful qualities of literature. It has
beautifully depicted the beauty of nature, whether it is the
description of Puri beach, the dolphin area, the scenic beauty of
Satpaura or the villages on the train journey from Allahabad to Sone,
in all these places, this beauty emerges. There is a captivating portrayal of childish nature through Chhaloni
(Saloni), a small girl in the train journey or Deepti, the younger sister
of the heroine. Today, by following the characters lived in the work, the anomalies of the family and society can end. Anshul, the heroof
the story, everywhere then the heroine Ruchi is the heroine who
shows more patience, perseverance and self-discipline, who creates
a new world by accepting / imbibing love with the feeling of welfare
of the people more than her personal gain or interest. As a result of
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this, the second heroine of the story, instead of keeping a negative
attitude towards Ruchi, shebecomes a friend and worshipper. The characters of the story do not cross their limits and the story
achieves perfectionby moving without the villain/villain. The effort of
the author is highly commendable. As soonas literature-loving readers
start reading it, they will not leave it without reading it completely,like
other works by the writer. In this novel, which was able to achieve
perfection only recently in the environment of 22 years ago, two
generations will find
ही कथा मुलांसह आपल्या सर्वांसाठीही प्रेरणादायी आहे. जेव्हा जेव्हा आपण निराशेच्या आणि नैराश्याच्या खोल क्षणांमध्ये अडकतो तेव्हा दिनेशसारखी पात्रे निराशेचे आवरण नष्ट करून आ
ही कथा मुलांसह आपल्या सर्वांसाठीही प्रेरणादायी आहे. जेव्हा जेव्हा आपण निराशेच्या आणि नैराश्याच्या खोल क्षणांमध्ये अडकतो तेव्हा दिनेशसारखी पात्रे निराशेचे आवरण नष्ट करून आपल्या मनाला आशेने उजळून टाकतात.
मला ही बाल कादंबरी त्या सर्व तरुणांना समर्पित करायची आहे जे त्यांचे भविष्य उध्वस्त करतात, दिशाभूल करतात, नैराश्याने वेढलेले असतात. माझी ही निर्मिती त्यांना काही कळा देईल ज्यामुळे त्यांचे उदास मन मोकळे होईल आणि त्यांना इच्छित ध्येये मिळतील.
Reading an article in a magazine about the pain of a helpless lady I penned down my story ‘ Poisonous trap ‘ . The article went “ My life has become the ocean of sorrow and disappointment every moment seems like years, life has become a burden; I feel my sorrow greater than the treacherous pains of Hell. “
A drop or two fell from the corner of my eyes. I was compelled to think ”Do such things really happen in our society ?
Reading an article in a magazine about the pain of a helpless lady I penned down my story ‘ Poisonous trap ‘ . The article went “ My life has become the ocean of sorrow and disappointment every moment seems like years, life has become a burden; I feel my sorrow greater than the treacherous pains of Hell. “
A drop or two fell from the corner of my eyes. I was compelled to think ”Do such things really happen in our society ?The young lady’s excepting garden full of beautiful flowers always get the pain of thorns in the flowers. “
Thinking patiently,I got an option and came the short story collection ‘Poisonous trap ‘ and on the day of its completion an interesting incident got attached to it.
Many of our unfortunate sisters have to suffer from the burden as ‘ Shubhangi ‘ the protagonist of the Poisonous trap because of very small mistake they are cursed to lead a life of insult, helplessness and sorrow.If my story proves helpful in curing the pain of any of such sisters, I shall think my creation worthy.
नया हौसला चिड़िया माँ का, बाल कविताओं का सुन्दर संकलन है.30से अधिक सुन्दर, प्रेरक बाल कविताओं को नयनाभिराम चित्रों के साथ मुद्रित किया है. ये सभी बच्चों को स्वस्थ मनोरंजन दे उनमें ऊ
नया हौसला चिड़िया माँ का, बाल कविताओं का सुन्दर संकलन है.30से अधिक सुन्दर, प्रेरक बाल कविताओं को नयनाभिराम चित्रों के साथ मुद्रित किया है. ये सभी बच्चों को स्वस्थ मनोरंजन दे उनमें ऊर्जा, उत्साह व प्रेरणा का विकास करेंगी. गर्भवती चिड़िया पल पल प्रति दिन अथक श्रम, समर्पण, लगन से घोंसला बना कर अंडे दे उनके पालन पोषण का कार्य निरंतर दिन रात कर उनको बड़ा करती है, इसका कविता में मार्मिक चित्रण है. अन्त में जब बच्चे परिपक्व हो दूर आसमान में नये संसार की तलाश में अलग उड़ जाते हैं तब भी चिड़िया माँ निराश, हताश नहीं होती न बच्चों की शिकायत अपनों से करती है, वरन इसे सहजता से स्वीकार कर एक नये संसार के सृजन हेतु नये उत्साह, ऊर्जा व प्रेम से तैयार हो जाती है, यही इसका सौंदर्य है. अन्य सभी कविताएं मनोरंजक, प्रेरक व आनंद दायी, ऊर्जा प्रदायी हैं.
सुन्दर चित्रों द्वारा कृति को और आकर्षक व उपयोगी बनाया गया है.
सभी नन्हे मुंन्नो के माता पिताजी से अनुरोध है कि,अपने बच्चों को मोबाइल, कंप्यूटर, नेट की घातक जकड़ से छुड़वाकर उन्हें, आनंद, उल्लास व प्रगति का नया आसमान दिलाने में सहायक इस कृति का उपहार अवश्य दीजियेगा.
A poor young boy Dinesh iost his mother Shyama due to sickness after lossing his father earlier.Alone Dinesh start to work as Coolie,street vendor for the sake of his stomach.At each step he is surrounded by trobules like self cooking in smoke,burning with flames, theft in his hut,accident with lorry etc.Among all these adverse circumstences his mother's supporting sentences inspire him always.''You are my Loving son,You are my brave son,You
A poor young boy Dinesh iost his mother Shyama due to sickness after lossing his father earlier.Alone Dinesh start to work as Coolie,street vendor for the sake of his stomach.At each step he is surrounded by trobules like self cooking in smoke,burning with flames, theft in his hut,accident with lorry etc.Among all these adverse circumstences his mother's supporting sentences inspire him always.''You are my Loving son,You are my brave son,You are source of light to every one,You have to fight with adverce circumstence and get Success.' Alone young boy Dinesh with only blessings of his Late mother surrounded with all troubles of society how over comes with all...
श्री अरुण जी के बाल कविता संग्रह ‘लोरी ठिठोली’ की कई कविताओं को मैंने पढ़ा, तो मुझे लगा कि हिंदी साहित्य की अनेक विधाओं में बाल कवि का अरुणोदय हुआ है। बाल साहित्य में उनकी उपस्थ
श्री अरुण जी के बाल कविता संग्रह ‘लोरी ठिठोली’ की कई कविताओं को मैंने पढ़ा, तो मुझे लगा कि हिंदी साहित्य की अनेक विधाओं में बाल कवि का अरुणोदय हुआ है। बाल साहित्य में उनकी उपस्थित का मैं स्वागत करता हूँ।
लोरी ठिठोली में ‘चैकीदार बनूँगा’ में बड़े देह का अजगर, चैकीदारी का काम करने जिस अंदाज में तैयार होता है वह रोचक है, ‘प्रेरणा’ कविता में न हारे हैं कभी मन से, न तन से.. बच्चों के लिए वाकई प्रेरणास्पद हैं। ‘क्या पापा से कट्टी है’ चन्द्रमा को लेकर जो संवाद बच्चा चाँद से करता है वह अद्भुत है। प्रेरक, संबल सूरज, कविता बच्चों का ज्ञान वर्धन करेंगी। चन्द्रमा पर भी उम्दा कविता है। चन्द्रमा को चांदी सा वैभवशाली बताना नया प्रयोग है। माँ, ममता व करुणामयी होती है, उसका गुस्सा भी कितना मीठा होता है, इस भाव भूमि पर, मम्मी करती मीठा गुस्सा, हर बच्चे को पठनीय लगेगी। माँ से प्यारी नानी है, का तो कहना ही क्या है। अन्य रिश्तों व बिषयों पर भी कविताये बच्चों के मन के करीब की हैं। आचार्य विश्वनाथ के अनुसार ‘वाक्यं रसात्मक काव्यं। पंडित सोहन लाल द्विवेदी कहते थे कि जो बालक के मन की, बालक की भाषा में लिख दे, वही सफल बाल साहित्यकार है। इस दृष्टि से भी मैं श्री अरुण जी को सफल बाल साहित्यकार मानता हूँ। मुझे विश्वास है कि सरल भाषा शैली में लिखी गयीं सभी कविताओं को बच्चे बड़े चाव से पढ़ेंगे व इन्हे प्यारा उपहार मानेगे।
श्री अरुण कुमार जैन पेशे से इंजीनियर और विचारों से लेखनी के सिपाही हैं। कहानी, उपन्यास, कविता, आलेख, व लघुकथा के साथ-साथ बाल साहित्य आदि हिन्दी साहित्य की विविध विधाओं, में इन्हों
श्री अरुण कुमार जैन पेशे से इंजीनियर और विचारों से लेखनी के सिपाही हैं। कहानी, उपन्यास, कविता, आलेख, व लघुकथा के साथ-साथ बाल साहित्य आदि हिन्दी साहित्य की विविध विधाओं, में इन्होंने अपनी लेखनी से साहित्य की अभिवृद्धि की है। इनका बाल उपन्यास- ‘‘राजा बेटा’’ इसी श्रंखला में प्रस्तुत है।उपन्यास का नायक पितृ-विहीन ‘दिनेश’ जब एक दिन माँ को भी खो देता है तो उसके हिस्से आती है माँ की.... टूटी-फूटी झोंपड़ी, निर्धनता और जीवन की ठोकरें। इन त्रासद परिस्थितियों में वह आशा-निराशा के झंझावत में एक सामान्य किशोर की तरह फँसता है पर हर बार माँ के कहे प्रेरक वाक्य उसे उबार कर आगे बढ़ने का संबल देते हैं।माँ के द्वारा दिए गये उच्च विचार और विपत्ति में भी साहस न खोने की सीख दिनेश को कुछ करने को प्रेरित करती है। ‘‘ईश सहाय करे तबही, जब आप सहाय करे नर अपनी’’ शायद दिनेश की सभी परीक्षाएँ ईश्वर ले चुका था। आगे अभि0 अरुण कुमार जैन ने इस बाल उपन्यास को सुखान्त बनाते हुए एक सिद्धहस्त रचनाकार के रूप में बहुत ही सुन्दर तरीके से समाप्त किया है।
इसे पढ़ते-पढ़ते बच्चों को जीवन में साहस, ईमानदारी और धैर्य के साथ सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा तो मिलेगी ही बीच-बीच में आँखें भी नम हुए बिना नहीं रहेंगी। किसी भी रचना के साथ पाठक को भावनात्मक रूप से जोड़ देने की कला, लेखक की सफलता कहलाती है। इस मायने में अभि0 अरुण कुमार जैन का यह बाल उपन्यास अद्भुत, सार्थक एवं उद्देश्य परक है।
डा. दिनेश पाठक ‘शशि’
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