भूमिका- परमार शासकों ने अनेक प्रकार के लोकहित कार्य किये हैं। इनमें नगर निर्माण, दुर्ग एवं सुरक्षा, प्राचीरों का निर्माण, जनसामान्य हेतु-सरोवरों का निमार्ण, बांधों का निमार्ण तथा महत्त्वपूर्ण मार्गों पर कूप एवं कूपगारों कि व्यवस्था आदि भी सम्मिलित है।
मन्दिर स्थापत्य के विभिन्न अंगों का वही नामकरण किया गया है, जो मानव शरीर के अंगों के होते है तथा परमार शासकों के सामाजिक कार्यों के अन्तर्गत उस काल की वर्ण व्यवस्था, स्त्रियों की दशा, विवाह की आयु, सती प्रथा तथा बहुविवाह, वस्त्र, आभूषण तथा प्रसाधन, खाद्य व पेय पदार्थ तथा व्रत-त्यौहार-उत्सव आदि आते हैं, इसके अतिरिक्त उस काल की स्थिति को समझने का प्रयास किया गया है।