पूज्य सतगुरु, परम पिता परमेश्वर, मां भारती के शुभ आशीष एवं प्रेरणा से मेरे द्वारा एक काव्य संग्रह तैयार किया गया है। मुझे पार्थ नाम से भी जाना जाता है। काव्य संग्रह का शीर्षक “पार्थ के बाण” इसलिए रखा गया चूंकि एक कवि के अस्त्र-शस्त्र उसके शब्द, विचार और कविताएं ही होती हैं। इन कविताओं को रचने में मेरे द्वारा काफी परिश्रम किया गया है। विशेषकर इस बात का ध्यान रखा गया कि कविताओं के शब्द कम से कम कठिन हों जो सामान्य से सामान्य पाठक को भी आसानी से समझ में आ सकें तथा उन्हें प्रभावित करके उनके जीवन को दिशा दे सकें।
समाज और देश के उत्थान को समर्पित इस पुस्तक के द्वारा आप पाठकों से प्रेम प्राप्ति की आकांक्षा है। इस पुस्तक के प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी भी मैं आपको ही सौंपता हूं यदि पुस्तक आपको पसंद आए तो अन्य पाठकों को भी इसके बारे में बताने में सहयोग प्रदान करें।