यह पुस्तक मैं अपने पिता जी "श्री मानकी साह "और बड़े पिता जी "श्री जानकी साह "और चाचा जी "श्री नरसिंह साह" को समर्पित करती हूँ। यह पुस्तक उनके प्रति मेरा प्यार और सम्मान हैं। उनके ही आशीर्वाद और सहयोग से आज मैं इस मुकाम पर पहुँची हूँ। बिना उनके सहयोग और प्यार के आज मेरी कोई पहचान नहीं होती। जिस तरह लोग मुझे मेरे पापा के नाम से जानते हैं ,मेरा भी एक सपना हैं कि लोग मेरे पापा को मेरे नाम से जाने।
यह पुस्तक सिर्फ मेरे पापा को ही नहीं बल्कि दुनिया के सारे पिता को समर्पित हैं जो अपने बच्चों को निस्वार्थ भाव से उनके सारे सपने को पूरा करने के लिए खुद की भी फिक्र नहीं करते। एक पिता के प्यार को कुछ शब्दों में तो बयां नहीं कर सकते पर मैं दुनिया के सारे पिता के लिए दो शब्द बोलना चाहूँगी
" पिछले जन्म के कुछ अच्छे कर्म ही होंगे
तब जा कर आपका अंश बनी मैं
पापा आपसे ही तो ये पहचान मेरी
बिना आपके कुछ नहीं मैं "
:- प्रिया कुमारी