भारत की आज़ादी के साथ ही जिस राजनैतिक चेतना का रूप उजागर हुआ उसमें एक वर्ग विशेष का ही आधिपत्य देखा गया। यहाँ तक की भारत के संबिधान के निर्माता विश्व रत्न बाबा साहब डॉ॰ भीम राव अंबेडकर को भी संबिधान सभा में भी चुनकर आने से रोका गया। काफी प्रयाश के बाद जब उन्हें उनके प्रदेश मुंबई के स्थान पर बंगाल से मुस्लिम लीग की सहाता से चुनकर संविधान सभा में लाया गया तो उनके प्रतिनिधित्व करने वाले क्षेत्र को ही पाकिस्तान का हिस्सा बना दिया गया, परिणाम स्वरूप बाबा साहब अंबेडकर पाकिस्तान की संबिधान सभा के सदस्य बन गए।