रावण यह हमारे सतयुग में ही नहीं बल्कि कलयुग में भी है। रावण ने माता सीता का हरण किया मगर उन्हें हाथ ना लगाया उनके दामन पर आंच ना आने दिया।
मगर जो कलयुग के रावण है वह दिन प्रतिदिन लड़कियों का अपहरण करते हैं उनके दामन को रंग देते हैं, रावण ने तो यह गलती बहन के मोह में आकर की थी, जिसके लिए आज तक हम दशहरे की विजयदशमी के दिन उसका पुतला बनाकर जलाते हैं, मगर यह जो आज के रावण है,
ना तो उनकी कोई सज़ा है और ना ही कोई पुतला जलाता है।
क्या आज के रावण यूं ही हमेशा बढ़ते रहेंगे और यह लड़कियां खुद को कभी महफूज़ कर पाएंगी, बस कुछ इन्हीं बातों पर यह "रावण" किताब आधारित है।