राहुला तो यही सपने संजो कर बैठा था कि उसके पिता, राजकुमार सिद्धार्थ कपिलवस्तु अवश्य लौट आएंगे। राज करेंगे। और एक दिन राहुला का राज्याभिषेक भी करवाएंगे । परन्तु हाय! उसके सुनहरे सपने चूर चूर हो गये जब उसने राज प्रासाद के द्वार पर आए उस भिक्षू को देखा जिसके बदन पर गेरुआ चीथड़े और हाथ में भिक्षा पात्र था । अम्मा यशोधरा ने कहा कि वही उसके पिता हैं !
यह कहानी उसी राहुला की है जिसके मन की बात कोई न जान सका क्योंकि सारा परिवार, सारा कपिलवस्तु बरसों बाद लौटे राजकुमार सिद्धार्थ में लीन हो गया था । तथागत बन गया था उनके आंखों का तारा सिद्धार्थ जिसका उपदेश सुनने को सारा देश उमड़ पड़ा था । एसे में राहुला की कौन सुनता? कौन पूछता उस से- क्यों? पिता को देख कर लजा गये का?