मेरी बात.....
नमस्कार मित्रों!
हम नही जानते कि हम कितने अच्छे या बुरे लेखक है। हम तो केवल अपनी भावनाओं को शब्दों में पिरोना जानते हैं और इसी के जरिये अपनी बातों को आप सभी तक पहुंचाते हैं।
कविता संग्रह के बाद यह "वजह.... मिल गई..." नामक हमारी दूसरी किताब है और इस किताब के प्रकाशन से हम बेहद उत्साहित हैं। इस किताब में प्रकाशित सभी कहानियाँ हमारी मौलिक एवं स्वरचित कहानियाँ हैं। किसी भी तरह से किसी अन्य लेखक की चुराई गयी बातें इसमें शामिल नहीँ हैं।
हमारी समस्त कहानियाँ रोचक, रोमांचक, शिक्षाप्रद एवं प्रेरक है। इन कथाओं को सभी वर्ग के लोग पढ़ना पसन्द करेंगे।
अपनी बेशकीमती शब्दों की लड़ियों को एक ही कतार में सजाकर हमने बेहद खूबसूरती से इस पुस्तक की परिकल्पना को साकार किया है तो आप सभी से केवल इतना ही उपकार चाहूँगी कि आप मेरी रचनाओं को पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य व्यक्त करें।
सादर धन्यवाद!,