ऋतु विद्या मासिक धर्म से जुड़े सांस्कृतिक प्रथाओं के पीछे के विज्ञान का विवरण देता है। यह पुस्तक मासिक धर्म से संबंधित कई भारतीय महिलाओं द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास करती है, जैसे कि, मासिक धर्म के समय कुछ खाद्य प्रतिबंध, शारीरिक परिश्रम न करना, दूसरों को छूने पर प्रतिबंध, खाना पकाने से परहेज, मंदिरों में न जाना, इत्यादि के कारण। यह पुस्तक भारत के प्राचीन विज्ञानों और स्वदेशी ज्ञान प्रणालियों में इन प्रथाओं की उत्पत्ति को दर्शाते हुए, किस प्रकार ये प्रथाएं मासिक धर्म सम्बन्धी अस्वस्थथाओं को रोकने का काम करते है, इन विषयों की व्याख्या करती है।
मासिक धर्म की प्रथाओं को समझने के प्रयास में, लेखिका ने एक दशक से अधिक समय तक भारत भर में यात्रा की और विभिन्न स्वदेशी ज्ञान प्रणालियों, जैसे कि षट्-दर्शन, आयुर्वेद, तंत्र, चक्र, योग, आगम शास्त्र, ज्योतिष शास्त्र और इनमें से कई उप-ग्रंथों का अध्ययन किया। फलस्वरूप, यह पुस्तक केवल सांस्कृतिक प्रथाओं का वर्णन करने से परे जाती है और इन प्रथाओं की उत्पत्ति के पीछे वैज्ञानिक और तार्किक तर्क को समझाने में विस्तृत विश्लेषण देता है।
मासिक धर्म के पीछे के विज्ञान की सही समझ, जैसा कि इस पुस्तक में दिया गया है, महिलाओं को मासिक धर्म की कठिनाइयों को रोकने में मदद करेगा, मासिक धर्म के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करेगा और उन्हें प्राकृतिक चक्रों के साथ तालमेल में रहना सिखाएगा।
‘ऋतु’, यह मासिक धर्म का उल्लेख करने के लिए एक संस्कृत शब्द है, और ‘विद्या’ का अर्थ है ज्ञान। ऋतु विद्या, विभिन्न प्राचीन भारतीय ज्ञान प्रणालियों को एक साथ लाने का प्रयास है जो मासिक धर्म के विज्ञान के बारे में जानकारी प्रदान करती है, और आज भी प्रासंगिक है।
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