हिन्दू धर्म में व्याप्त बुराइयों के कारण हिन्दू धनाद्य वर्ग ने अपने स्वार्थवश हिन्दू धर्म के ही एक बड़े समूह को जातिवाद में बाँटकर उनकी जिंदगी गुलामों से भी बदकर कर दी थी। उस बड़े वर्ग को भी बांटो और राज करो की रणनीति अपनाते हुये उस गुलाम वर्ग में भी दो प्रकार का व्यवहार किया गया।
इन शूद्रों के साथ गुलामी का व्यवहार कर इनसे मुफ्त श्रम करवाकर भूखा नंगा रहने पर विवश किया जाता था जिससे यह वर्ग सिर ऊंचा करके विद्रोह न कर सके। इनकी बस्तियां भी उच्च वर्ग से अलग दूर बसाई जाती थी और इनके पानी पीने के लिए कूए भी अलग होते थे।
इस प्रकार के असंख्य शूद्र गुलामी के उदाहरण पुरातन इतिहास में भरे पड़े है जिसमें असहाय शूद्र वर्ग छूआछूत भरी गुलामों की जिंदगी जीने को जीने को मजबूर था। जिसको दूर करने की कोशिश ज्योतिवाफूले, पेरियार रामास्वामी, संत शिरोमणि रविदास महाराज व संत कबीर ने की थी। किन्तु उनकी समाज सुधार की कोशिश पूरी तरह सफल नहीं होने दी गयी।
लेकिन बालक भीम ने उन भीषण परिस्थितियों में भी आगे वड़कर शिक्षा की उन उचाईयों को प्राप्त किया जिसे विश्व में आज तक कोई भी प्राप्त नहीं कर सका है। बाद में उन्हें बाबा साहब डा॰ भीम राव अंबेडकर के रूप में सम्मान दिया गया। वह भारत के प्रथम कानून मंत्री बने तथा भारत का संविधान लिखने का दायित्व भी उन्हें ही सौंपा गया.
बाबा साहब डा॰ भीम राव अंबेडकर ने जीवन भर गुलाम शूद्रों को आज़ाद करने हेतु संघर्ष किया जिसमें वह काफी हद तक सफल भी हुये जिस कारण वह शोषित के भगवान के रूप में संसार के सामने आए।
Sorry we are currently not available in your region. Alternatively you can purchase from our partners
Sorry we are currently not available in your region. Alternatively you can purchase from our partners