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shev Architecture / शैव वास्तुकला shev Architecture

Author Name: Dr. Rajesh Kumar Meena | Format: Paperback | Genre : Educational & Professional | Other Details

भूमिका

       वास्तुकला हड़़प्पा सभ्यता के युग से लेकर तेरहवी सदी तक भारत में धार्मिक और लौकिक स्थापत्य के बहुसंख्यक रूप निर्मित हुए। इसके साथ ही सम्पूर्ण भारत असंख्य स्मारकों का एक विशाल संग्रहालय भी है। इससे स्पष्ट है कि विश्व की प्राचीन वास्तुकला में भारत का गौरवपूर्ण स्थान है। भारत के राजा निःसन्देह महान निर्माणकर्ता थे, उन्होंने साहित्य एवं ललित कलाओं को तो प्रोत्साहन दिया ही इसके साथ-साथ वास्तुकला के क्षेत्र में महत्वूपर्ण निर्माण कराये हैं। इस काल के विभिन्न भग्नावशेष उनके योगदान की पुष्टि करते हैं।

       वास्तु से तात्पर्य है वास हेतु अथवा रहने योग्य भवन। जीवन उपयोगी कलायें 64 प्रकार की तथा ललितकलायें 5 प्रकार की हैं। इन पाँच ललितकलाओं में वास्तुकला, मूर्तिकला, चित्रकला का सम्बंध नेत्रेन्द्रिय से है जबकि संगीतकला, काव्यकला का सम्बन्ध है। वास्तु शब्द के पर्याय के रूप में स्थापत्य का प्रयोग किया जाता है। इसलिए शैव वास्तुकला के अन्तर्गत शैव धर्म सम्बन्धित स्थापत्य कला का अध्ययन किया जाता है जिसमें भगवान शिव से सम्बन्धित विभिन्न प्रकार की प्रतिमाओं एवं लिंगों को स्थापित कर पूजनार्थ देवालयों का निर्माण किया गया है। इसके अन्तर्गत मंदिर, गुफा, मठ आदि का भी अध्ययन कर शैव वास्तुकला को विस्तृत आयाम प्रदान किया गया है।

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डाॅ.राजेश कुमार मीणा

नाम- डा. राजेश कुमार मीणा

पिता का नाम - रामप्रसाद मीणा   

जन्म दिनांक - 13.05.1984.

जन्म स्थान - महिदपुर रोड़

पढ़ाई - पी.एचडी (परमार कालीन शासकों के लोकहित कार्य एक ऐतिहासिक अध्ययन)

     - एम.सी.पी. 

डिपार्टमेन्ट नाम - प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन, मध्यप्रदेश।

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