देवभूमि हिमाचल निवासी श्याम लाल शर्मा का काव्य-संग्रह शिमला तो शिमला है, उत्तर भारत के सबसे लोकप्रिय पहाड़ी पर्यटन स्थल शिमला के अद्भुत नैसर्गिक सौंदर्य का काव्यात्मक चित्रण है। संग्रह की रचनाएं प्रचुर प्राकृतिक परिवेश से सजी ‘पहाड़ों की रानी’ कही जाने वाली शिमला नगरी की अतुलनीय छवि का मार्मिक वर्णन कर रही हैं। इनके पठन से पाठक को ऐसा आभास होता है जैसे वह इस स्थल पर घूम-घूमकर इसके प्राकृतिक परिवेश एवं दिव्य आकर्षण का आनंद ले रहा हो। प्रत्येक कविता में अलग-अलग सौंदर्य बोध एवं काव्य रस है और वे अपने अंतर्निहित भाव से पाठक को शिमला के अतुल्य सौंदर्य की ओर आकर्षित करती हैं। इनके पठन से पाठक न केवल शिमला के सौंदर्य का आनंद लेता है अपितु भावनात्मक रूप से भी उससे जुड़ जाता है। कविताएं अपने दृश्यात्मक विवेचन से पाठक को शिमला के कई दर्शनीय स्थलों की सैर कराती हैं जहां पाठक कई रुपहले प्राकृतिक दृश्यों एवं मानव निर्मित सुंदर संसार का अवलोकन करता है। एक प्रकृति प्रेमी के लिए यह पुस्तक न केवल पठनीय अपितु संग्रहणीय भी है। इस दिव्य पहाड़ी नगरी का भ्रमण कर चुके सैलानी के लिए भी पुस्तक की विषय-वस्तु उसे पुन: उन अविस्मरणीय पलों की याद दिलाती है जो कभी उसने शिमला में बिताए हैं। काव्यात्मक कथन एवं दृश्यात्मक वर्णन से शिमला के मनभावन स्थलों का आकर्षण इस हद तक बढ़ जाता है कि पाठक अपने भाव में बार-बार उन स्थलों का स्पर्श एवं आंतरिक अवलोकन करता है और पुन: उन अद्भुत दृश्यों का आनंद लेने लगता है। कविताएं शब्दों के माध्यम से शिमला के अनोखे स्वरूप को पाठक के मन में चित्रांकित कर उसे अनुभूतिजन्य हर्ष से अभिभूत करती हैं।
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