14 दिसंबर सन् 2021 में दोपहर 12 बजे बाला जी की कृपा से मैंने सपत्नीक श्री तिरुपति वेंकटेश्वर (बाला जी) का दर्शन किया और वहाँ बाहर विक्रय कर रहे एक पुस्तक विक्रेता से हिंदी गद्य में लिखी 'श्री वेंकटेश्वर की लीलाएँ' नामक पुस्तक क्रय की! 15 को प्रभु की गाथा पढ़ने लगा..! थोड़ा ही पढ़ा था कि बाला जी ने आदेश दिया कि मेरी गाथा को छंदबद्ध करो और मैं तुरंत उनके आदेश का पालन करने में जुट गया | ऐसी लगन लगी और वेंकटेश जी की ऐसी कृपा हुई कि मात्र 20-21 दिनों में छ: सर्गों का खंडकाव्य लिखा गया |
मंदिर में प्रभु का दर्शन करते हुए लगा था कि मैं साक्षात् सम्मुख खड़े प्रभु का दर्शन कर रहा हूँ और दर्शन के उपरांत ऐसी प्रेरणा हुई कि मैं अपने पास का सारा धन उनकी हुंडी में डालकर विरक्त हो जाऊँ..तो मैंने वैसा ही किया और परम सुख-शांति का अनुभव किया और दोबारा दर्शन करने का आदेश भी पाया |