'गीता' भगवान् का गीत है जिसमें 18 अध्याय में 700 श्लोक हैं। इन 18 अध्याय को
तांका छन्द में 18 पुस्तकों में अभिव्यक्त किया गया है। इन तांका संग्रह के भाग तेरह में
गीता के अध्याय तेरह 'प्रकृति पुरुष विवेक योग' के 34 श्लोक को तांका की पांच लाईन
में क्रमश: 5-7-5-7-7 अक्षरों के क्रम वाली 31 अक्षरीय कविता में अभिव्यक्त किया गया
है। यह तांका संग्रह आपको सच्ची सुख-शान्ति और सफलता का अनुपम मार्ग बताएगा।
इस पुस्तक को पढ़कर आप दुविधा और मोह से ग्रस्त पीड़ा से मुक्त होकर निर्भय हो
जाएंगे। भगवान् का गीत आपके जीवन को सार्थक कर सका तो मेरा परिश्रम स्वत: ही
सार्थक हो जाएगा। एक बार अवश्य पढ़ें और अपने जीवन को एक नई दिशा प्रदान करें।
शेष हरि इच्छा।