कुछ अल्फाज दिल से, अब क्या बोले लफ्ज तो एक ज़रिया है, अपने ख्यालों को अपने दिल के भीतर चल रहे हैं, सवालों को एक धागे में पिरोने का, कभी कविताओं के रूप मैं बाहर आता है, तो कभी बस शायराना अंदाज में,
कविता एक प्रतिबिंम हैं, हमारे भीतर के हर खयाल का, चाहे खुशी का हो या गम का,
ये एक माध्यम है दिल की बातें बयाँ करने का,
ये किताब मेरे दिल में आये उन ख्यालों का प्रतीक है, जो सिर्फ मैंने नहीं कभी आप लोगों ने भी महसूस किए है। ये किताब उस प्रेमी और प्रेमिका का प्यार बयाँ करती है, उस सृष्टि प्रेमी शायर के अल्फाज बयाँ करती है, तो कभी बस मेरे अंदर बसी कविता को बाहर पुकारती है ।