“सुंदरवन की दुर्गा” एक स्त्री के जज्बे और संघर्ष की कहानी है जो सुंदरबन को बचाने के लिए जीवन भर संघर्ष करती है | कहानी की शुरुआत सुंदरवन से होती है जहाँ सत्तू अपनी दोस्त दुर्गा माझी के साथ सुंदरवन को बचाने के लिए दुस्साहसिक अभियान में निकलता है| कालांतर में उनकी दोस्ती प्यार में बदल जाती है| पर एक रात अचानक दुर्गा माझी लापता हो जाती है| इस गम को भुलाने के लिए सत्तू देहरादून चला जाता है जहाँ उसकी मुलाकात विधवा स्त्री सावित्री से होती है| दोनो में प्यार हो जाता है और वे शादी कर लेते हैं| फिर उनकी बेटी दुर्गा सुंदरवन को बचाने का संघर्ष करती है...
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