तभी पीछे से फिर से आवाज आई-
"अन्ना वह पिछले बार तो खा कर एक भी पैसा नहीं दिया था।" अब तक पास में पूरी बेल रहा सलाउद्दीन, जो उस होटल का मालिक भी था, वहां आ धमका। उसने उस आदमी को बुरी तरह घसीट लिया।
"चल मामू बर्तन धो और जा। हिसाब बराबर।" उस आदमी की जुबान तो नहीं चली पर उसकी आंखों में 'नहीं' साफ दिख रहा था। उसे दूसरी मर्तबा भी घसीट लिया गया। मगर इस बार भी वह किसी भारी पत्थर की तरह थोड़ा हिलने के बाद उसी जगह पर आ गया जहां खड़ा था। अपनी दो नाकाम कोशिश के बाद सलाउद्दीन आग बबूला हो गया। उसने उसके कान के नीचे ताबड़तोड़ थप्पड़ जड़ दिया।