इस पुस्तक में जो कुछ गीत और ग़ज़ल हैं वो कुछ खुद की मनोभाव व कुछ ज़माने के जज़्बात हैं जो मैंने करीब से देखे हैं। चमकता वहीं है जो तनहा तनहा है।चाहे वो चांद हो, सूरज हो या कोई भी। तनहा तनहा चांद एक प्यार भरे दो दिल की जुबां है, जो गूंगा जरुर है पर कहता बहुत कुछ है।आपके भी दिल के आसमान में एक तनहा तनहा चांद जरुर मुस्कुरा रहा होगा।