"अरे गधे, तुम उस सड़क से गुजरते लोगों को क्या घूर रहे हो?"
"क्या तुम्हें काम करने का जरा भी अक्ल नहीं है?"
"क्या मैं कोई अनाथालय चलाता हूं?"
"सिर्फ अपने काम पर ध्यान दो तभी खाना मिलेगा पेट भरने के लिए।"
"ध्यान रहे मैं तुम्हारा मालिक हूं और तुम हो मेरे नौकर। बात समझ में आई कि नहीं? कहो हां!"
"तुम बहुत बड़े गधे हो। तुम्हें बिल्कुल भी समर्पण के साथ अपना काम नहीं करना आता है।"
अक्सर इस तरह के शब्द मोटार के मुँह से किसी पहाड़ से गिरने वाले झरने की तरह निकलते रहते।