"थोड़ी सी धूप" काव्य-संग्रह मन के भावों की शाब्दिक अभिव्यक्ति है। जीवन में घटित वैसे दृश्य, बिंब और घटनाएँ जो हमारे मन को झकझोर देते हैं, उनसे सम्बन्धित भावों को अभिव्यक्त करने के लिए मन बेचैन हो उठता है और कुछ उचित शब्द ढूंढकर उन्हें पंक्तिबद्ध करता है और इस तरह बन जाती है एक कविता। भावनाएँ हर व्यक्ति के मन के भीतर हैं। कुछ लोग जीवन संघर्ष में इतने व्यस्त होते हैं या ऐसे कठिन हालातों में फँसे होते हैं कि अपने मनोभावों को शब्दों के माध्यम से व्यक्त नहीं कर पाते। इस काव्य-संग्रह में संकलित कविताएँ सिर्फ मेरे मनोभावों की शब्दाभिव्यक्ति नही है, उनकी भी है। जिनके इर्द-गिर्द ये दृश्य, बिंब और घटनाएँ तो हैं मगर उन्हें अभिव्यक्त करने का उचित अवसर, माध्यम व समय नही है। मुझे विश्वास है कि ये कविताएँ मैनें लिखी अवश्य है परन्तु यह है आप सबकी। अत: आप इन कविताओं से अपना जुड़ाव अवश्य महसूस करेंगें।
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