यह पुस्तक लेखिका ने अपने द्वारा किये गये मातृत्व के अनुभव द्वारा लिखी है। हालांकि सभी माताओं का स्वयं का अपना-अपना अनुभव होता है क्योंकि सबका व्यक्तित्व व विचार अलग अलग होता है। ये लेखिका स्वयं के विचार जिन्हें लेखिका ने पुस्तक का रूप दिया है।
यह लेखिका की प्रथम पुस्तक है, हालांकि वह बालपन से ही अनेक विषयों पर कहानी, कविताएँ व्यंग आदि लिखती रही हैं परन्तु कुछ कारणवश उन्होंने अपने लेखन को लम्बा विराम दे रखा था पर अब लेखिका अपने भाई व पुत्री के सहयोग व प्रोत्साहन द्वारा फिर से अपनी रचनाएँ लिखने के लिए प्रस्तुत हैं।