शुद्ध अनुभूतियाँ तृतीय एवं चतुर्थ भाग आपके समक्ष प्रस्तुत है।
तृतीय भाग में मुख्यतः सुख एवं मुक्ति, बिना क्रियाओं के कार्य करना -सेवा, क्षमा, दान, गुरु विद्या, विद्यार्थी के गुण, पुस्तकों का पथ, आत्म निरीक्षण की कला के विभिन्न प्रयोग, प्रतिरोध प्रयास तथा अवसर, बाधाएं एवं उनके निवारण जैसे लेख प्रस्तुत हैं। चतुर्थ भाग में चित्त-विराम, विरोधाभास, चेतना एवं यंत्र, समर्पण, अज्ञान की परतें, चित्त की अवस्थाएं, मानचित्र, सूक्ष्म प्रक्षेपण, मृत्यु का वरण, सृष्टि, गृह-गमन, स्मृतियाँ इत्यादि का संक्षिप्त विवरण है।
आशा है साधक जनों को ये रूचिकर एवं ज्ञान युक्त प्रतीत होगा।