तूफानी रात चारों तरफ गहन अंधकार छाया हुआ था ऐसे में एक 28 - 29 साल की महिला सुनसान रास्तों पर दौड़ी जा रही है उसके हाथ में एक छोटा सा नवजात शिशु था जिसे उसने अपने सीने से लगाया हुआ था मानो कोई उसे अभी उससे दूर कर देगा उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी उसका पैर भी बुरी तरह से जख्मी था मानो किसी ने उस में गोली चलाई हो । उसमें से रह-रहकर खून बाहर रिस रहा था लेकिन फिर भी वह बेतहाशा भागे जा रही थी उसके पीछे कुछ आदमी हाथों में बंदुकें ले कर भाग रहे थे उन्होंने काले कपड़े पहने हुए थे । सभी के चेहरे भी काले कपड़ों से ढके हुए थे ।