भूमिका
अनेक सम्भावनाओं से लक-दक यह कविता-संग्रह, एक नितान्त अज्ञात कवयित्री सुश्री कामिनी श्रीवास्तव के कवि-मन की अन्तर्भू से निसृत हुआ है और बहुत ही सक्षमभाव से उनकी पहचान का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
महाकवि सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का छन्दमुक्त कविता लिखना उस काल-खण्ड का हिन्दी-काव्य-साहित्य का सुनामी बन कर आया और अनेक स्थापित कवि-साहित्यकार बौखला गए। कोई कहता निराला ने छन्द तोड़ दिया, कोई कहता यह भी कोई कविता है आदि,आदि। अन्ततोगत्वा निराला की विजय हुई और कहा गया कि निराला ने नव-छन्द जोड़ा था। बहुत से कवि मनीषियों ने उसी छन्द-मुक्त कविता की राह पर चल कर बहुत नाम अर्जित किया।
कामिनी जी का वर्तमान काव्य-संग्रह भी उसी नव-काव्य-विधा की दिशा में एक सफल प्रयास है।