कुछ क्षण ! कई बार कुछ क्षण ही मनुष्य के लिए पर्याप्त होते हैं उस की सोच, उसकी विचारधारा एवं उसके सम्पूर्ण व्यक्तित्व को परिवर्तित कर देने के लिए। इस पुस्तक को लिखते समय क्षण प्रतिक्षण इस बात को ध्यान में रखने का प्रयास किया गया है कि इसको पढ़ने से पाठक के सोचने व समझने से उनका दृश्टिकोण प्रभावित हो सके तथा उसमें तत्क्षण ही अकस्मात परिवर्तन आ सके। जिससे कि उसके जीवन की धारा ही परिवर्तित हो जाए।