युग-संधि केवल प्रेम की कथा नहीं, युग के परिवर्तन की गाथा है। जब द्वारका के वैभव पर संकट छाया और धर्म की नींव हिल रही थी, तब अनिरुद्ध और ऊषा का प्रेम सिर्फ रोमांस नहीं, बल्कि ज्ञान और धर्म की रक्षा का संदेश बन जाता है।
मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में स्थित प्राचीन कुंडेश्वर महादेव मंदिर इस कहानी का आध्यात्मिक और भावनात्मक केंद्र है। यहाँ की मिट्टी, बुंदेलखंडी लोकगीत और आस्था का सार इस उपन्यास में जीवन पाता है।
"युग-संधि" दर्शाता है कि कैसे प्रेम, साहस और विवेक मिलकर एक डूबते हुए युग से ज्ञान की लौ को बचाते हैं और नए युग के लिए मार्ग प्रशस्त करते हैं। यह उपन्यास उन पाठकों के लिए प्रेरणा है जो जीवन की अराजकता में शांति, साधारण जीवन और आस्था की शक्ति खोजना चाहते हैं।
यह कहानी ज्ञान, धर्म और प्रेम की अमरता का संदेश देती है – कि महान सभ्यताएँ भौतिक रूप से नष्ट हो सकती हैं, पर उनका दर्शन हमेशा जीवित रहता है।
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