‘आठवां समंदर’ बना है प्रेमियों की आंखों से टपके मोतियों से, स्त्री की आंखों से जन्मी बूंदों से और एक अल्हड़ कवि के जीवन के अनगिनत अनुभवों से। इसमें केवल कविताएं नहीं जीवन है, स्त्री का मन है और लबालब प्रेम है। अपनी पाठक दृष्टि इस सागर पर डालिए और उतर जाइये इसके तल में। आप जितना गहरा जाएंगे, आप अपने मन-सा पाएंगे। इस किताब की लहरों में बसनेवाले प्रेमियों से थोड़ा-सा प्रेम करिए, ये आप पर पूरा-का-पूरा सागर उड़ेल देंगे। इस किताब की पंक्तियों को छूकर देखिए, जादू होगा और आप मुझ तक पहुंच जाएंगे।
– सीमा शर्मा ‘सृजिता’
Sorry we are currently not available in your region. Alternatively you can purchase from our partners
Sorry we are currently not available in your region. Alternatively you can purchase from our partners