Share this book with your friends

Angika Ramcharit Manas / अंगिका रामचरित मानस Goswami Tulsidas Rachit Ramcharit Manas Par Aadharit /गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरित मानस पर आधारित

Author Name: Smt. Kumari Rupa | Format: Paperback | Genre : Religion & Spirituality | Other Details

इस अभूतपूर्व अनुवाद और ब्याख्या  “अंगिका रामचरित मानस” में सनातन-धर्म का  स्तंम्भ,विश्वब्यापी विशाल ग्रंथ गोस्वामी तुलसीदास रचित ‘’रामचरित मानस को आधार स्वरूप प्रस्तुत किया गया है। यह “अंगिका रामचरित मानस” भारतीय संस्कृति, आचार-विचार, सभ्यता का एक सुंदर धरोहर है ।  तुलसी “रामचरित मानस” का यह अनुवाद है, भक्ति ज्ञान और कर्म का  समन्वय है । साथ ही इसमें रचयिता ने अपना ब्यक्तिगत विचार भी प्रस्तुत किया है— ढोल, गंवार, शूद्र पशु, नारी “ जैसे कुछ विवादित विषय का  बिल्कुल सही सटीक अर्थ भी प्रस्तुत किया  है । यह मानस जन-मानस को धर्म और सांसारिक-कर्म से जोड़ने की अद्भुत कड़ी है  । यह सहज जीवन से लेकर कठिन त्याग का अपूर्व संगम है । इसके अंतर्गत  तुलसीदासजी के विचारों को अंगिका भाषा में प्रस्तुत करते हुए, उनके सारे आयामों को यथावत रखते हुए , पाठ की लयबद्धता, पाठ के दौरान के विश्राम, सबको यथावत रखा गया है। रचयिता का अंगिका साहित्य में  यह विशाल ग्रंथ तुलसीदास के मानस के आधार पर हू-ब-हू प्रस्तुत करने का प्रथम प्रयास है ,जो निश्चय ही अंगिका साहित्य को भी समृद्ध बनाने में पुर्ण सक्षम होगा । यह हर घर, जन-जन के लिए वंदनीय है,पूजनीय है, ग्राह्य है ।

Read More...
Paperback
Paperback 1265

Inclusive of all taxes

Delivery

Item is available at

Enter pincode for exact delivery dates

Also Available On

श्रीमती कुमारी रूपा

रामायण भक्ति प्रेम आदर त्याग और उदारता का ग्रंथ है, मेरी मां ने बचपन में ही इस रामायण का  बीज हमारे अंदर बोया था; जो उर्वर हुआ ओड़य की पवित्र धरती पर । मेरे श्वसुरजी जमीन बेच कर रामायण पाठ कराते थे, मेरे पति जीवन भर, मंगलवार को पाँच लड्डू भोग लगाकर सुंदर कांड का पाठ करने के बाद ही मुंह मे अन्न रखते थे । वही सब आज मेरे ‘अंगिका रामायण’ के रूप में फलित हुआ है । 

जिनको कृपा सें बोंगो बोलै छै,लंगड़ा पर्वत पार करॅ ǀ

कलियुग पाप नाश करे जिनि, हे दयालु  कृपा करो ǁ

सब गुण  रहित है  रचना  में  केवल एक्के गुण छै 

वहीं  हैय  सुनतै  विचारतै  जिनको विमल  विवेक छै ǁ

अनुज  जानकी  सहित  हे राम, धनुष बाण धरि हाथ 

हमरो  हृदय  गगन रो  चाँद  बनी बसों सदा निष्काम ǁ

हमरो रंग नै कोय दीन छै नैय हितकारक तोरो रंग रघुवीर 

हैय विचारी हे रघुवंश मणि हरो हमरो जनम मरण के पीर ǁ

भोग वास्तं स्त्री प्यारो होय छै लोभ वास्तें होय छै धोन 

हेने रघुवीर हमरा तों प्यारो, तोरो वास्तें छै हैय देह मोन ǁ

ǁ जय श्री राम ǁ

Read More...

Achievements