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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palदर्पण एक सच
वर्तमान परिवेश में पुस्तक पढ़ने की रुचि जनमानस में निरंतर कम होते जा रही है। आधुनिक समय में साहित्य अध्ययन करने वाले बहुत कम हैं, साहित्य पढ़कर हम अपने सिलेबस का ज्ञान नहीं बढ़ा सकते, परन्तु वास्तविकता और व्यवहारिक कौशल हमारे अंदर समाहित होती है। साहित्य पढ़कर समाज में हो रहे सही-गलत सभी तरह के कार्य में तर्क-वितर्क कर सकते हैं, एक सुंदर, स्वच्छ समुदाय के निर्माण में भागीदार हो सकते हैं।
बचपन से साहित्य पढ़ता रहा जो विचार आते थे उसे लिखता रहा, मेरे मन में विचार आया, कि मैं भी साहित्य एक ऐसी 'पुस्तक' लिखूं, जिस 'पुस्तक' में सभी तरह की रचनाएं शामिल कर सकूँ, 'पुस्तक' साहित्य द्वारा इस समाज को कुछ दे सकूँ तो मैं खुद को गौरवान्वित महसूस करूँगा।
मैंने प्रयास किया, और मेरी ये मेहनत कहाँ तक सफल है, आप सभी पाठक ही बता सकते हैं।
बतौर लेखक "दर्पण - एक सच" मेरी पहली पुस्तक है, इसमें शीर्षक दर्पण पर एक ही रचना है, लेकिन "दर्पण - एक सच" काफी आकर्षक नाम है। साथ ही साथ 'दर्पण' आईना को कहा जाता है, जो सच्चाई बयां करता है।
मैं खुद को 'लेखक' तब-तक नहीं कह सकता जब-तक एक-एक पाठक को मेरी रचनाएं पसंद न आ जाए। समाज के दृष्टिकोण को देखते हुए, सभी तरह की 'रचनाएं' शामिल करने की कोशिश की गई है। हमारी मातृभाषा 'हिंदी' में सभी तरह की रचनाएं हैं। आइए हम इस पुस्तक की पाठ से परिचित हो जाएं, जिसमें कविता, कहानी, लघुकथा, दोहा सभी तरह के रसों को रखने का प्रयास किया है।।
गौतम केशरी
'हमारे' मनोभाव में जो विचार आ जाते हैं, उन्हीं भाव को गद्य व पद्य में एक साहित्यकार संयोजित करता है। साहित्यकार का धर्म सिर्फ अपनी आत्मा और भाव को ही लिखना नहीं, बल्कि समाज और देश के उन पहलुओं को भी लिखना होता है, जो सत्य को उजागर करते हैं। इन्हीं तथ्यों को लिखने में एक साहित्यकार गौतम केशरी का भी नाम आता है। इनका जन्म 28 दिसम्बर 2002 को कुर्सेला के पोठिया बाजार में हुआ, जो कटिहार जिले के अंतर्गत आता है, बाद में इनके पिताजी परवाहा, फारबिसगंज क्षेत्र में बस गए। इनके पिता का नाम शम्भू केशरी है जो मध्यम व्यापारी है और माता नूतन देवी कुशल गृहणी है। पाँच सदस्यों के परिवार में ये सबसे बड़े हैं।
इनकी आरंभिक शिक्षा परवाहा के सरकारी मध्य विद्यालय से हुई, मैट्रिक में मध्य विद्यालय हरिजन से दूसरी श्रेणी में आए, बाद में इंटरमीडिएट रामलाल उच्च विद्यालय हरिपुर से प्रथम श्रेणी प्राप्त की, वर्तमान में ये पुर्णिया कॉलेज पुर्णिया से इतिहास में स्नातक कर रहे हैं। पढ़ाई अब भी जारी है आगे जाकर ये हिंदी से P.H.D करना चाहते हैं।
ये बचपन से हिंदी साहित्य को पढ़ रहे हैं, बचपन से गद्य लेखन में इनकी रुचि रही है। पहली बार 6 जुलाई 2020 की शाम को पद्य लेखन यानि काव्य की रचना की। इनके सुंदर चित्रण व जो विचार थे, उन्हें इन्होंने कागज पे उतारा, जिससे इन्हें बहुत सराहना भी मिली। महज दो सालों में इन्होंने 300 से अधिक काव्य की रचना की है, और 50 से अधिक गद्य लेखन की रचना की है। ये सभी तरह की रचना लेख लिखते हैं, जैसे कविता, दोहा, कहानी, लघुकथा, रिपोर्ताज, आत्मकथा, संस्मरण आदि। ये सभी रचना हमारी मातृभाषा हिंदी में हैं। इन्होंने इन दो सालों में बहुत से ऑनलाइन कवि सम्मेलन में प्रतिभागीता की है। इनकी 100 से अधिक रचना छोटे-बड़े समाचार पत्र में प्रकाशित हो चुकी हैं। इन्होंने कई सारी पत्रिकाओं के लिए भी लिखा है, जिसमें मनसंगी साहित्य मंच, शारदे काव्य संगम मंच, दिव्यालय, देशभक्ति साहित्य समूह, शब्दों की माला आदि शामिल है। शब्दव्युह साहित्य मंच जहाँ पर अनेक विधाओं में दैनिक विषय चलता है, गौतम केशरी जी इसके सृजन प्रभारी भी हैं।
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