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Indira Maidan / इंदिरा मैदान

Author Name: Rajdeo Shaw | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

गुलाब
काँटों में रहकर जो हमेशा ख़ुशियों को फैलाता है।
यही वह फूल है जो गुलाब कहलाता है।।
इसे देखकर लोग अपने ज़ख़्म भूल जाते हैं।
हो न हो कुछ क्षण के लिए लोग अपने ज़ख़्मों में भी मुस्कुराते हैं।।
लोगों के ज़ख़्मों पर जो अपनी ख़ुश्बू से जो ख़ुशियों का मरहम लगाता है।
यही वह फूल है जो गुलाब कहलाता है।।
चुभते इसे भी है कितने काँटें,लेकिन वह अपनी हँसी को न भूल पाता है।
काँटों में रहकर भी हमेशा मुस्कुराता है।।
हे गुलाब!न जाने तुम कहाँ से इतनी ख़ुशी को
लाते हो।
न जाने काँटों में भी तुम कैसे मुस्कुराते हो?
सच में गुलाब न ही तुम सिर्फ़ फूलों का
राजा है।
बल्कि मुसीबतों में भी हौंसलों को न खोना भी,
गुलाब हमें बहुत अच्छी तरह सिखाता है।
और काँटों में रहकर भी हँसना जिसे भली-भाती आता है।
यही वह फूल है जो गुलाब कहलाता है।।
              -राजदेव साव

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राजदेव साव

राजदेव शॉ पुत्र श्री सुखदेव शॉ का जन्म 31/10/1995 को हुआ था। वह पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के चंपदानी में रहते हैं, वर्तमान में वे एक हिंदी और एस.एस.टी शिक्षक के रूप में एक सीबीएसई स्कूल में कार्यरत हैं। उन्होंने किया है पी.साइंस में उनका ग्रेजुएशन और उनका कविता करियर तब शुरू हुआ जब वे पहले बीए में थे फिर उन्होंने अपनी पहली कविता लिखी और तब से उन्होंने बहुत सारी कविताएँ लिखी हैं और अब वह बहुत सारी एंथोलॉजी किताबों का हिस्सा हैं और उन्होंने तीसरी भी जीत हासिल की है। एक राष्ट्रीय ऑनलाइन कविता प्रतियोगिता में जगह। वह अपनी दो किताबों 'वीक' और 'चंपदानी' के लेखक भी हैं। अपनी कविता के अलावा वह एक मार्शल आर्टिस्ट भी हैं, उन्होंने कराटे में एक ब्लैक बेल्ट किया है और ताइक्वांडो, मय में प्रशिक्षित किया है। थाई, किक बॉक्सिंग, कुंग फू और जीतकुन करते हैं। वह एक गायक भी हैं जिन्होंने अपने स्थानीय क्षेत्र में कई संगीत कार्यक्रम किए हैं।

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