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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal‘इंद्रधनुष - एक नई दिशा की ओर' नामक इस पुस्तक की शुरुआत सरस्वती वंदना से होती है। विद्या की अधिष्ठात्री देवी की अराधना के पश्चात माता के स्नेह, भाई बहन के नेह पर आधारित कविताएँ पढ़ने को मिलेंगी। बेटियों के प्रति हृदय उद्गार को प्रकट करती हुई स्नेहिल पंक्तियों से पाठक अवगत होंगे। कहीं किसानों की दशा दिखेंगी तो कहीं स्वयंसेवकों का सेवाभाव। कहीं रक्तदान का महत्व बताया है तो कहीं सभी प्रकार के दान से रूबरू होने का अवसर मिलेगा। आस में सफलता का वास होता है, इस बात से सभी राजी होंगे। हमारी कविताएँ समाज, संस्कृति और संस्कारों पर भी आधारित मिलेंगी। राणा प्रताप की वीरता से ओतप्रोत कविता भी पढ़ने को मिलेगी।
तिरंगे की महत्वता बताती हुई कविता भी मिल जाएगी। रंगों पर आधारित खूबसूरत कविताएँ भी पढ़ने को मिलेंगी। मिठाइयों से पाठकों के पढने का मजा दो गुना हो जाएगा, यही उम्मीद है। वक्त के महत्व को पहचान कर कर्मयोगी बनने की प्रेरणा देती कविताएँ भी मिलेंगी। प्रकृति, ऋतु तथा त्योहार पर आधारित कविता भी आप पढ़ेंगे। नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देने हेतु कई कविताएँ मिलेंगी।
समाज और लोगों के विचारों भावनाओं, प्रचलित मान्यताओं के बारे में मेरे विचार आपको पढ़ने मिलेंगे। जीवन के हर आयाम पर आधारित शब्दों को पिरोकर हम कविता की माला पिरोकर उपस्थित हैं। जीवन के विविध रंग दिख रहे हैं इस लिए इस संकलन का नाम 'इंद्रधनुष - एक नई दिशा की ओर' रखा गया है।
इस पुस्तक के माध्यम से आप सभी पाठकों के समक्ष हम अपने मन के उद्गार साझा कर रहे हैं। आप सभी से निवेदन है पढ़ने के बाद हमें अपनी प्रतिक्रिया से अवश्य अवगत कराएँ। यह अपनी पहचान बनाती एक अनूठी काव्य संकलन हैl
रीता झा, अर्चना तिवारी
रीता झा कटक, ओडिसा से सम्बन्ध रखती है। रीता जी अभी पेशे से एक अध्यापिका है। रीता जी ने एम. ए. (द्वय), बी.एड, मिथिलाक्षर प्रबोध शिक्षा पूरी की है।
अबतक इन्होने काफ़ी संकलन में अपनी रचना सहेलखिका के रूप में दी है। इनका अनेकों रचनाओं का प्रकाशन विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में नियमित रूप से होता रहता है।।
रिता जी ने अब तक हिंदी भाषा में छोटी बड़ी लगभग ५५० रचनाओं का सृजन किया है।
नाम - अर्चना तिवारी
निवास - प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
संप्रति - भुवनेश्वर, ओड़िशा
शिक्षा - हिन्दी में एम.ए.,बी.एड.,शिक्षा विशारद
प्रकाशित कृतियाँ - ह्वदय उद्गार
साझा संग्रह-जिंदगी के रंग, शहीदों के नगमें, धूप -छाँव, युवावस्था की दहलीज हिंदुस्तान की गौरवगाथा, द्रौपदी के कृष्ण, अनुभव जिंदगी के और अमिएबल पापा। अर्चना तिवारी जी वर्तमान में भुवनेश्वर में अध्यापन कार्य कर रही हैं। सरल और नवीन गतिविधियों के माध्यम से विद्यार्थियों में भाषा रोपित करने का प्रयास करती हैं। साहित्यिक गतिविधियों में सदैव अपना सहयोग देती हैं। आपको कविता-कहानियाँ, आलेख लिखने का शौक हैं। एकल तथा सामूहिक काव्य-पाठ करने के साथ-मंच संचालन भी करती हैं। आपको भारतीय संस्कृति से बहुत प्रेम है। तीज-त्योहार मनाना, धार्मिक और पौराणिक स्थलों पर घूमना पसंद है। आप एक ओर साहित्य सृजन करती है तो दूसरी ओर आप पाककला में भी निपुण हैं। आप अनेक संस्थानों से जुड़कर साहित्य के प्रति समर्पित हैं।
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