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JAJBAAT / जज़्बात गज़ल संग्रह

Author Name: Murli Manohar Srivastava | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

जज्बात मुरली मनोहर श्रीवास्तव के द्वारा लिखी हुई गजलों का संग्रह है l हर एक ग़ज़ल अपने आप में बहुत ही रोमांचक हैं जो पाठकों के दिलों पर राज करता हुआ नजर आएगा l कुल 62 ग़ज़ल को इस पुस्तक में सम्मिलित किया गया हैl इस पुस्तक में सम्मिलित कुछ गजल आपके सामने पेश है जो इस प्रकार हैं:-

मोहब्बत लौटा नहीं करती

वक्त की आंधी इश्क-ए-लौ को बुझा नहीं सकती

रात भर जागने से, मोहब्बत लौटा नहीं करती.

निगाहों ने हमारे मोहब्बत का इजहार जो किया

हम तो ताउम्र किसी से दर्द को बयां नहीं करते

यादों के सफर में यारों, धड़कन रुका नहीं करती

रात भर जागने से.........................................

कभी रुह, कभी जहन को सुनती आयी है जिंदगी

प्यार को रिश्ते की शुरुआत मान आयी थी जिंदगी

अश्क आंखों में ले पनाह, अफसाना किससे बयां करती

रात भर जागने से.........................................

रोज इम्तिहान लेती है जिंदगी,मैं मोहब्बत चुनता हूं

किससे कहूं, क्या कहूं जाने क्यूं समझ नहीं पाता हूं

लाख समझाए कोई फिर भी,चाहत बदला नहीं करती

रात भर जागने से.........................................

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मुरली मनोहर श्रीवास्तव

मुरली मनोहर श्रीवास्तवने 1990 में अपनी जन्मस्थली बिहार के डुमरांव (बक्सर) से बच्चों को निःशुल्क शिक्षण देकर अपने करियर की शुरुआत की। लेखन और पठन-पाठन में रुचि की वजह से वे पत्रकारिता से जुड़ गए। तब से लेकर आज तक बतौर लेखक और पत्रकार अपने को स्थापित कर चुके हैं। जीवन में कई उतार-चढ़ाव के बावजूद अपनी लेखनी को कभी कुंद नहीं पड़ने दिया।

भौतिक विज्ञान से ऑनर्स करने के बाद पत्रकारिता स्नातकोत्तर डिप्लोमा (चेन्नई), एम0ए0 (लोक प्रशासन), एम0ए0 (पत्रकारिता) के उपरांत कई पुस्तकों और दस्तावेजों को पढ़ने के लिए कैथी लिपि का अध्ययन किया। 

दैनिक समाचार पत्रों, टीवी चैनलों में कार्यरत रहते हुए पटना के विभिन्न कॉलेजों में बतौर गेस्ट फैकल्टी (पत्रकारिता) पढ़ाते रहे। 

विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं, पोर्टलों के लिए अलग-अलग मुद्दों पर आलेख निरंतर लिखते रहते हैं। कविता, कहानी, गजल की रचना के अलावे पारंपरिक गीतों का संकलन करीब डेढ़ हजार से अधिक कर चुके हैं। पटना-दिल्ली दूरदर्शन के लिए दर्जनों डाक्यूमेंट्री लेखन कर चुके हैं। जबकि शहनाई नवाज उस्ताद बिस्मिल्लाह खां पर बिहार सरकार के लिए डाक्यूमेंट्री बना चुके हैं।

संवेदनशील लेखक होने की वजह से दर्द की गहराईयों को महसूस कर उसको शब्दों में पिरोकर अपने पाठकों तक गजल, कविता, कहानी और शोधपरक पुस्तकों की रचना करता रहता हूं।

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