काव्ययोग - मेरे एकादश काव्यासन, यह काव्य पुस्तक विभिन्न प्रकार के सत्य युक्त, प्रोत्साहक एवं प्रबोधक काव्यों का संग्रह है। काव्य और योग साथ मिल कर यहाँ किस प्रकार से फलदायक सिद्ध होते है, वो तो केवल काव्य को पढ़कर, उसके भावार्थ का गहन चिंतन-मनन करके ही जाना जा सकता है। यहाँ एक तरीके से देखे तो ग्यारह काव्यों में यूँ तो कोई समानता नहीं, पर अगर मूलतः समझे तो इनकी समान जड़ है - सत्यवादिता। विषय, भावार्थ, संदर्भ और अवलेखन तो हर कविता के भिन्न है, परंतु हर एक काव्य को सत्य के अतूट धागे से बुना गया है। इसी कारण से, हरेक काव्य को योगासन के भाँति उल्लिखित किया गया है, क्योंकि इन काव्यों के लेखन और भावना के अवलेखन में इतनी क्षमता है की वाचक के मन-मस्तिष्क को एक नई ऊर्जा से आवेशित कर दे। भारत देश के भव्य इतिहास की गाथा सुनाता, सत्य और संघर्ष की सीख देता, कटाक्ष के तीरों से वास्तविकता को दर्शाता यह काव्य संग्रह केवल पहला कदम है, अभी और भी सत्य एवं इंकलाब की गूंज सुनाना शेष है।
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