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Matrabhasha / मातृभाषा संस्कारों की जननी

Author Name: Nikhil Jain, Anika Jain | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

भारतीय संस्कृति सदैव से संस्कारों की जननी रही है आर्यावत की इस पावन धरा पर अनेक संत मुनियों ने जन्म लेकर अपने तपोबल और ज्ञान गंगा से सदैव से ही इसे कृतार्थ किया।
भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीनतम संस्कृति मानी जाती है और मातृभाषा हिंदी यहां की प्राचीनतम भाषा।
हिंदुस्तान की अमरता और विश्व में इसके परचम का श्रेय इसकी व्यापक और महानतम आध्यात्मिक संस्कृति और हमारी मातृभाषा को ही है जो समय समय पर आवश्यकता के अनुसार बदलाव गृहण कर स्वयं भारत को विश्व गुरु के खिताब से सुशोभित करती है।
हिंदी, हिंदुत्व और हिंदुस्तान हर भारतीय की शिराओं में लहू बनकर घुले हुए है और यही कारण है की पाश्चात्य संस्कृति के साथ घुलकर भी प्रत्येक भारतवासी अपनी जड़ता को बरकरार रख पाता है।
बड़ों का आशीर्वाद, मां की लोरी, मंदिर में आरती, जिव्हा का प्रथम वर्ण, राष्ट्र के सम्मान में राष्ट्रगान का प्रथम वर्ण सभी हमारी मातृभाषा हिंदी से जुड़ा हुआ है।
समय के परिवर्तन के साथ नव पीढ़ी विदेशी संस्कृति, विदेशी रहन सहन और विदेशी भाषा की ओर आकर्षित होती जा रही है इसी मूल कारण को स्मरण कर हमने "मातृभाषा - संस्कारों की जननी" को पुस्तक का प्रारूप देकर अपनी मातृभाषा और संस्कृति को शिरोधार्य करने का एक आंशिक प्रयास किया है।

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निखिल जैन‚ अनिका जैन

अनिका जैन मोहब्ब्त की नगरी ताज नगरी आगरा उत्तर प्रदेश से संबंध रखती है लिखना इनका शौक ही नहीं पेशा भी है। इनका मानना है कि केवल लेखन ही एक ऐसी कला है जिससे हम अपनी आंतरिक भावनाओं को भली भांति अभिव्यक्ति कर सकते है और अपनी सोच और अपना नजरिया दुनिया के सामने प्रस्तुत कर सकते है अपनी लेखनी के माध्यम से ये अपने मन को टटोलने और अपने विचारो को कागज पर उड़ेलने में सक्षम होती है। टाइपिंग के दौर में इन्हे आज भी कलम कागज का उपयोग करना बेहद पसंद है।
इनकी रुचि नए नए प्रयोग और सदैव कुछ नया सोचने और करने में रहती है। इनके अनुसार मुस्कुराहट एक दवा है जो हमारे साथ साथ हमारे आस पास के माहौल को भी खुशनुमा बना देती है। परिवार इनकी प्रथम प्राथमिकता है और सभी को खुश रखना इनका पहला लक्ष्य। ये अलग अलग समुदाय से भी जुड़ी हुई है। इन्होंने 70 से अधिक किताबो में बतौर सह लेखक कार्य के चुकी है और इनके खुद के दो संकलन "curing minds" और बंधन रिश्तों के प्रकाशित हो चुके है एवं बाकी प्रकाशन को अग्रसर है।

निखिल जैन
 एक 26 वर्ष के नवयुवक है, जो की धुले, महाराष्ट्र से संबंध रखते है।  ये अपना ज्ञान दूसरो के साथ साझा करना, यात्रा करना, नई नई खोज करना और रचनात्मकता का बेहद शौक रखते है। इन्हें लिखना पसंद है और इनका मानना है कि लेखन से हम अपनी आंतरिक भावनाओं का भली भांति बखान कर सकते है। इनके खुद के काफ़ी संकलन "L'amour", "बंधन रिश्तों के", "रूहानी बातें",  "L'amour 2", "Momentos" और "प्रकृति- एक जादुई पिटारा" प्रकाशित भी हो चुके है। ये अपनी शायरी और कविताओ में सरल भाषा का प्रयोग करते है जिससे प्रत्येक व्यक्ति उन्हें आसानी से समझ सके।

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