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Tahkhana / तहखाना संदूक जज़्बातों का।

Author Name: Pragya | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

तहख़ाना का अर्थ होता है, ज़मीन के नीचे बना हुआ कमरा। जिस तरह एक मकान के तहख़ाने में मालिक अपने अमूल्य रत्न छुपाता है। उसी तरह इस तहख़ाने में लेखक के क़ीमती जज़्बात छुपे है। जहाँ पर लेखक ने छोटी-छोटी पंक्तियों के माध्यम से ज़िक्र किया है इंसान की अलग-अलग भावनाओं का। यह किताब एक निचोड़ है दिल से लेकर दिमाग़ तक के जज़्बातों और खयालो का | किताब में प्रेम, विश्वासघात, समाज, जीवन, संबंध, मानव व्यवहार और माँ प्रकृति की सुंदरता के छंद हैं।

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प्रज्ञा

प्रज्ञा एक 21 वर्षीय हिंदी प्रेमी है। जीवन के छोटे छोटे जज़्बातों को समझना और फिर उनके बारे में लिखना उनका पसंदीदा शौक है । यह उनकी पहली प्रकाशित पुस्तक है, हालांकि वह पिछले 6 वर्षों से लिख रही है। वह क्षेत्रीय सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए एक सक्रिय वक्ता और लेखिका रही है। वर्तमान में वह स्नातक की पढ़ाई कर रही है, लेकिन  निकट भविष्य में वह साहित्य और लेखन के क्षेत्र में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देने की योजना बना रही है |

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