Share this book with your friends

Te chamgadur hoi avatari / ते चमगादुर होइ अवतरहीं

Author Name: Vinod Parashar (pousari) | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details

  एकाएक ऐसा वक्त आ गया की मैंने अपनी  सभी कहानियो को अधूरा छोड़ दिया और वर्तमान समय में होने वाली घटनाओ को गौर से देखने लगा।  सब के लिए ये पहली बार घटने वाली  घटना थी बंद बंद सबकुछ बंद। 

फिर एकाएक पैदल चलने वाले मजदूरों की एकाएक बाढ़ सी आ गई , और साथ में उनके परेशानियों की कहानियाँ चल पड़ी। "ते चमगादुर होइ अवतरहीं " ये कहानी उन्ही बेबसों की कहानी है जिसमे उनका सब कुछ स्वाह हो गया।

Read More...
Paperback
Paperback 150

Inclusive of all taxes

Delivery

Item is available at

Enter pincode for exact delivery dates

Also Available On

विनोद पाराशर (पौसारी)

मेरा बचपन मध्य प्रदेश के पिपरिया में बीता जिसका पुराना नाम पौसार हुआ करता था। वहाँ  एक नदी है जो कभी कल कल बहा करती थी और वहीं पर  दोस्तों के साथ बिताये दिनों को, तो कुछ जीवन में मिले अनुभवों को कहानियों में ढाल दिया करता हूँ।

 क्योकि छोटू आज भी रोज कहानियाँ सुनता है और में भी सुनाता चला जाता हूँ पर अब वह बड़ा हो चला है सो कहानियों का स्तर भी बड़ा हो चला तो ये कहानी संग्रह सभी उम्र के पाठको के लिए समर्पित है।

Read More...

Achievements