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मानव को अपने जीवन में जिस चीज़ कि सबसे ज्यादा जरुरत महसूस हुई वह है सुख, क्यूँकि मनुष्य को सुख प्राप्त हो जाये तो वह संतुष्ट हो जाता है, पर ऐसा होना संभव नहीं है। सृष्टि कि संरचना के उपरांत कुछ न्यूनता जरूर रह गयी थी, लेकिन भगवान शिव ने इन सब न्यूनता को ध्यान में रखते हुए तंत्र-मंत्र-यन्त्र का निर्माण किया, जिससे मानव अपने जीवन कि न्यूनता को समाप्त कर सके। इन्ही में से एक महत्वपूर्ण विद्या है "यन्त्र विद्या" यन्त्र अपने आप में चमत्कारी है, कठिन से कठिन कार्य को भी
गौरव आर्य का जन्म १९९२ को उत्तर प्रदेश में हुआ। बचपन से शांत और सरल स्वभाव के मालिक रहने के कारण अपनी साधना और पढाई लिखाई में ही समय व्यतीत किया। अपनी प्रारंभिक शिक्षा को पूर्ण करने के उपरांत विज्ञान के क्षेत्र मंत जाने का निर्णय लिया और उत्तर प्रदेश टेक्निकल यूनिवर्सिटी से वर्ष २०१४ में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में प्रथम श्रेणी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की, बचपन से ही धर्म और ज्योतिष, तंत्र