Share this book with your friends

Aatmhatya ki Taiyari / आत्महत्या की तैयारी

Author Name: Dr. Kumar Sanjay | Format: Paperback | Genre : Letters & Essays | Other Details

हमारे देश में विदेश जाना, विदेश में पढ़ना और विदेश में काम करना एक स्टेटस सिम्बल बन गया है। जिनके बच्चे विदेश में पढ़ते हैं या काम करते हैं, वे बहुत गर्व से यह बात सबको बताते फिरते हैं। इनमें से कईयों के बच्चे कभी वापस भारत नहीं आते। ऐसे पेरेंट्स ऊपर से कितना भी दिखावा करें, अंदर से अपने बच्चों की कमी को हर पल महसूस करते हैं, अंदर से टूट जाते हैं। इसी समस्या को यह नाटक उजागर करता है।

साथ ही यह एक समस्या को और सामने लाता है। बच्चे विदेश में बस जाते हैं और अपने पेरेंट्स को भूल जाते हैं। क्या इसके लिए भारतीय पेरेंट्स जिम्मेदार हैं? हां, बिलकुल हैं। कैसे हैं, इसे जानने के लिए इस नाटक को पढ़ना जरूरी है। यह नाटक अभी की इस ज्वलंत समस्या को बहुत प्रभावशाली ढंग से पाठकों/दर्शकों के सामने लाता है।

श्री संजय के नाटक पठनीय भी होते हैं और मंचनीय भी। वह यों कि इनकी भाषा साफ सुथरी है और इनके संवाद अत्यंत कुरकुरे और छोटे होते हैं. नाटक की जान उसके छोटे और क्रिस्प संवाद होते हैं. श्री संजय ने अभ्यास से, परिश्रम से या यह उनके जीन्स में ही है, यह विशेषता पाई है. इनके नाटक पढ़ने में भी उतना ही मज़ा देते हैं और मंच पर अभिनीत होने पर दर्शकों को बांधने की क्षमता रखते हैं.

Read More...

Ratings & Reviews

0 out of 5 ( ratings) | Write a review
Write your review for this book
Sorry we are currently not available in your region.

Also Available On

डॉ. कुमार संजय

डॉ कुमार संजय की गिनती स्पोकन इंग्लिश, जीडी, पीडी और पीआई के श्रेष्ठ शिक्षकों में होती है। आपने इंग्लिश ग्रामर, वर्ड पावर, वाक्य विन्यास, स्पोकन इंग्लिश के ऊपर 18 किताबें लिखी हैं। सभी किताबें अंग्रेजी सीखने वालों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। अंग्रेजी पढ़ने-पढ़ाने वालों को डॉ. कुमार की किताबें अनिवार्य रूप से पढ़नी चाहिए। ये पुस्तकें उनके लिए बहुत बड़ी मार्गदर्शक साबित होंगी। 

इंग्लिश के व्याख्याता होने के साथ-साथ डॉ. कुमार संजय हिंदी पर भी अद्भुत पकड़ रखते हैं।

आप हिंदी और अंग्रेजी, दोनों भाषाओं में नाटक लिखते हैं। अबतक आप लगभग सौ नाटक लिख चुके हैं। आपकी 24 नाट्य पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। 2011 में आपको मोहन राकेश सम्मान से विभूषित करते हुए साहित्य कला परिषद, नई दिल्ली ने टिप्पणी की थी -‘कुमार संजय एक ऐसे रचनाकार हैं जिन्होंने भाषा की व्यंजना को अपनी रचना में महत्व दिया है। व्यंग्यात्मक, चुटीली, रसीली भाषा दर्शक से सीधा संवाद करने में कहीं अधिक कारगर होती है। पहली नजर में उनके विषय हल्के लग सकते हैं पर धीरे-धीरे उनकी परतें खुलती हैं तो बड़ी ही सरल-व्यंग्यात्मक भाषा में एक गंभीर विषय दर्शकों के सामने होता है। यही कुमार संजय की रचनात्मक विशिष्टता है।’

Read More...

Achievements

+10 more
View All

Similar Books See More