संकलन कविताओं का एक संग्रह है। जिसमे बीते समय की जरूरत के साथ वर्तमान की दशा को बताया गया है। माता–पिता का प्यार अदभुत है,उनके महत्व को जीवन का मार्गदर्शक दिखाया हैं। समाज के सच और झूठ को कविताओं में दर्शाया गया है। एक तरफ जहां महिला सशक्तिकरण,नारीवाद और उनकी आवाज को मजबूती से उठाया गया तो वही दूसरी ओर महिलाओं द्वारा अपने अधिकारों का गलत उपयोग पर भी सवाल उठाया गया है।सारे इल्जाम सच नहीं होते,कुछ बेगुनाह भी सलाखों में बंद होते हैं,उनकी पीड़ा का उजागर किया गया है।मंजिल आसान नहीं संघर्ष को हथियार बनाकर सदा लड़ते रहने को ही जीना बताया हैं। समाज से उम्मीद मत रखना,पारदर्शी आईना दिखाया गया। ख्वाहिशें कभी खत्म नहीं होती,कुछ बाकी रह जाती हैं
इसलिए सब खत्म नहीं हुआ है,यह शुरुआत है
""अभी बहुत कुछ बाकी है, मैं फिर लौटूंगा""
पुस्तक सपनों के सच होने का इंतजार हैं।