रामगढ़ एक शांत और साधारण गाँव था, जब तक वहाँ एक रहस्यमयी अजनबी की आवाज़ — “अलखदानिया… अलखदानिया…” की गूँज नहीं सुनाई दी थी।
उस अजनबी के आगमन और उसके बाज़ीगरी भरे करतबों से गाँव की तस्वीर बदल गई।
अलखदानिया राजसी वस्त्र पहनकर, कीमती उपहार बाँटते हुए गाँव में आता है और धीरे-धीरे गाँव के साधारण जीवन में असाधारण घटनाएँ होने लगती हैं। वह गाँव वालों के लिए डर भी है और आकर्षण भी।
राजकुमारी मुक्ता और अलखदानिया की यह कहानी आपको धीरे-धीरे एक ऐसे संसार में खींच ले जाएगी, जहाँ जादू और भय साथ-साथ चलते हैं।
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