आलम तो अब यूं है, हमारी ज़िंदगी का,
दिन उनसे शुरू और उन्ही से खत्म है,
इश्क़ जताना भी नहीं आता,
और जो लड़ जाए उनसे, तो रोना भी आ जाता है।
दिल की चुभन भी अजीब है,
तुझे न देखूं तो जी घबराता है,
जो देखूं तो तुझे और देखने का जी चाहता है।
आलम तो अब यूं है, हमारी ज़िंदगी का,
दिन उनसे शुरू और उन्ही से खत्म है,
इश्क़ जताना भी नहीं आता,
और जो लड़ जाए उनसे, तो रोना भी आ जाता है।
दिल की चुभन भी अजीब है,
तुझे न देखूं तो जी घबराता है,
जो देखूं तो तुझे और देखने का जी चाहता है।