जिंदगी में जब बेचैनियों का बोझ ज्यादा बढ़ जाता है तो अपने दर्द के इर्द-गिर्द घूमते अल्फ़ाज़ और उनसे बुना जाल मरहम का काम करता है। 'अल्फ़ाज़-ए-जिंदगी' में आप ऐसी रचनाएँ पढ़ेंगे जिन्हें पढ़ कर शायद आपको लगे कि ये जिंदगी के किसी न किसी पड़ाव पर आपकी हक़ीक़त यही थी। इस संग्रह में न सिर्फ दर्द की बात की गई है, बल्कि प्यार के ख़ूबसूरत एहसास का भी जिक्र किया गया है। बेबसी, जिंदगी, दर्द, निराशा और उदासी की गलियों से गुजरते हुए यहाँ ख़ुशियों से भी मुलाक़ात की है।