जिन्दगी की कुछ उलझनें सुलझाने ।कुछ मान्यताओ पर रोक लगाने ।अपनी दुनिया मे अपनी एक पहचान बनाने । तलाश मे निकली वो अपनी असल मंजिल की अपने ख्वाबो को साहिल तक पहुँचाने की ख्वाहिश लेकर । तलाश रहती है उसे मंजिलो की इस जमाने मे । मुसाफिर बन सफर की राह चलने की हिम्मत करती है वो ।
इस कहानी में शाहिदा अपनी मंजिल की तलाश करती है परन्तु कभी अच्छा मार्गदर्शन नही मिल पाता तो कभी जमाने के लोग उस पर ताने कसते है इन सब के बाद भी वो हिम्मत जुटाकर अपने रास्ते पर चलकर हौंसला रखती है । उसकी शादी के बाद उसे कई मुश्किलो का सामना करना पडता है कभी खुद से तो कभी अपनो से लडना पडता है । जिस मंजिल पर वो पहुँचना चाहती है उस तक एक बार ना पहुंचने के कारण उसको दूसरी मंजिल तय करनी पड़ती है कई कठिनाईयों का सामना करने के पश्चात वो अपनी मंजिल तक पहुंचकर समाज मे प्रेरणा का स्रोत बनती है ।