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Ashwathama / अश्वत्थामा Ek Shrapit Chiranjivi se Kaliyug ke mahanayak ki yatra

Author Name: Himanshu Verma | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details

त्रेता युग- सबके अनुग्रह करने के बाद भी रावण ने सीता जी को वापिस लौटाने की चिंता नहीं की, वो जनता था की उसे हराना असम्भव है। लेकिन उसे ये आभास होने लगा था की इस युद्ध में कुछ अनिष्ट हो सकता है, इसीलिए वो ऐसे कार्य में लग गया की उसका अस्तित्व ही ना मिटे, ना मनुष्य के हाथों, ना देवता के हाथों, वो हमेशा धरती पर रहेगा और राज करेगा।

द्वापर युग – भगवान कृष्ण देख रहे थी कि, रावण ने जो असम्भव अनुषठान त्रेता युग में किया उसकी वजह से, इस युग में पाप बहुत अधिक बढ़ गया है। इसीलिए उसकी काट के लिए भगवान कृष्ण हिमालय पर गए, महादेव से आशीर्वाद लेने, ताकि रावण की काट पैदा की जा सके।

कलियुग – रावण की काली शक्ति ने कलियुग में एक राक्षस पैदा कर दिया। इधर भगवान कृष्ण के चमत्कार से जन्मी एक दैविय आत्मा ने कलियुग को एक महानायक दे दिया। दोनो आमने सामने हैं जिसकी चपेट में, मध्य प्रदेश के खंडवा ज़िले के वैष्णव और कैथी, वाराणसी के शैव सम्प्रदाय के लोग आ चुके हैं।

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हिमांशु वर्मा

हिमांशु वर्मा पेशे से इन्फ़र्मेशन टेक्नॉलजी एक्स्पर्ट है और स्वभाव से पर्यावरण प्रेमी। लिखने की प्रेरणा उन्हें अध्यात्म और विज्ञान का संगम देता है। वह उत्तर प्रदेश राज्य के गौतम बुद्ध नगर ज़िले में, अपनी पत्नी (सारिका वर्मा) और २ बेटियों (शिखी और वेनुका) के साथ रहते हैं।  

अश्वथामा पर वह पिछले ७ वर्षों से कार्य कर रहे हैं, इस उद्देश्य से की अश्वथामा की कहानी को एक नया आयाम दिया जाए, जिसके अश्वथामा अधिकारी हैं, और उन्हें कलियुग के सूपरहीरो के रूप में पेश कर सकें।

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