तुमने हंस कभी देखा है?
देखी तो होगी तस्वीर।
कितना उजला, कितना सुन्दर
कितना उसका सुगढ़ शरीर।
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पानी दूध मिला कर रख दो
हंस नहीं धोखा खाता
पानी छोड़ दिया करता है
दूध दूध वह पी जाता।
बाल्यकाल में नंदन में पढ़ी ये पक्तियां आज अनायास ही स्मरण हो आई। हरिवंश राय बच्चन साहब की कलम के दीवाने हम सभी रहे है। एक अलग ही अमृत होता है उनकी कविताओं में जो कण्ठ में रुकता नहीं है, अधर में उतर जाता है। वो जो पढ़ने में सरल सा प्रतीत होता तो है, पर कहीं ना कहीं ह्रदय में, मस्तिक्ष में, व रूह में समा जाता है।
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"अयान सी कविताएँ" ऐसी ही कुछ कविताओं का संकलन है जो मैंने समय समय पर मन के भावों की अभिव्यक्ति में लिखी हैं। ये जीवन का सार है, तो कभी कभी प्रेरणादायी भी हैं। कभी यूँही लिखी पंक्तियाँ है जो गौर से देखने पर लयबद्ध नज़र आती हैं, तो कभी सोच समझ कर ताल से हटाई गयी, नए युग की कविताएँ।
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मान लो की तुम सही हो
मान लो की गलत था वो
मान लो कि झूठ है सब
मान लो तो सच वही है
मान लो किरदार हैं बस
मान लो तो सच कहानी
मान लो तो गंगा माँ है
ना मानो तो बहता पानी।
एक मानने भर से कितना कुछ सही हो जाता है ना जीवन में? कविताएँ भी तो ज़रिया मात्र ही हैं इस मानने भर का। सच को परिभाषित करती आइना ही तो हैं कविताएँ। तो चलिए साथ मिलकर मान लेते हैं की जिंदगी में सब अच्छा है। सब सही है। और यात्रा करते हैं कविताओं के साथ, उन पलों की जिनमे मैंने भी कुछ ना कुछ मान लिया था।