‘भक्ति सरिता' मेरा प्रथम काव्य संकलन है। जिसमें भक्ति रस से ओत-प्रोत रचनाएँ बड़ी कुशलता पिरोई गई हैं। मेरे विचार से जो सर्वसाधारण का हित करे वही वास्तव में साहित्य है। तो मेरी भक्ति परख रचनाएंँ सामान्य जनमानस के लिए हैं, जिसमें बुद्धि और विलास के लिए कोई जगह नहीं है। क्योंकि, मैंने जैसा अनुभव किया वैसा ही लिखा है।
प्रस्तुत पुस्तक अध्यात्म एवं भक्ति कोष है जिसे पढ़कर हम अपने मन के विकारों को दूर कर सकेंगे। इन रचनाओं के माध्यम से मैंने अपने शब्द सुमन प्रभु के चरणों में अर्पित किया है, क्योंकि अध्यात्म तथा भक्ति के बिना मानव जीवन का कोई अस्तित्व नहीं है। हमारे पास अरबों की संपत्ति हो उसके बावजूद जीवन में कहीं न कहीं कुछ न कुछ कमी महसूस होती है और उस कमी की पूर्ति परमात्मा की भक्ति से ही हो सकती है। परमात्मा की भक्ति ही वह मार्ग है जिससे हमारा आत्म कल्याण होता है। भक्ति से ओत-प्रोत रचनाओं का पाठ वह मार्ग है जो हमें परम चेतना के निकट ले जाता है और हमें लौकिक कठिनाइयों से निजात दिलाकर अलौकिक आनंदानुभूति कराने में सहायक होता है।