'छोटे शहर के हैं जनाब' एक कविता संग्रह है जो की जीवन के विभिन्न दौर के अनुभवों का मिला जुला रूप है| इस संग्रह में प्रत्येक कविता एक नया किस्सा सुनाती है, एक नया अनुभव प्रस्तुत करती है। यह एक यात्रा है जो हमें अपनी जड़ों और भूली-बिसरी यादों की तरफ ले जाती है| इस संग्रह में शामिल कविताएँ उन लोगों से भी संवाद करती हैं जो किसी कारणवश अपने शहर से दूर चले गए हैं, और इस बात के लिए वे अकेला महसूस करते हैं। यह संग्रह उनकी यादों को ताज़गी से भर देता है और उन्हें उनके गुज़रे हुए जीवन के किस्से याद दिलाता है।
यह लेखक का पहला काव्य संग्रह है इसलिए इस किताब कि नज़्मे इक ताज़गी का एहसास कराती है यह कविताएं बहुत ही सरलता और सादगी से लिखी गई हैं, पाठकों को अपने जीवन के कई पहलुओं में सहजता से इनका जुड़ाव मिलता है। लेखक ने अपनी शैली में सादगी और संवेदनशीलता को महसूस कराया है, जो पाठकों का मन मोह लेता है। आप एक शांत शाम में अपनी आत्म-संवाद के साथ या आत्म-खोज में गुमनाम होने की भावना के साथ इस संग्रह का आनंद ले सकते हैं।
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