“उप सामीप्येन, निनितरां, प्राप्नुवन्ति
परब्रह्म यया विद्यया सा उपनिषद्”
अर्थात् जिस विद्या के द्वारा परब्रह्म का सामीप्य एवं तादात्म्य प्राप्त किया जाता है, वह ‘उपनिषद्’ है | उपनिषद् को वेद का शीर्ष भाग कहा गया है, वेदान्त कहा गया है, क्योंकि यह वेदों का अन्तिम (सर्वश्रेष्ठ) भाग है | दो सौ से अधिक उपनिषदों में प्रमुख्य दस उपनिषद् की मान्यता सर्वाधिक है |
चित्रकला में स्नातकोत्तर करने के बाद जब काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के वैदिक विज्ञान केंद्र में पढ़ने का मौका मिला तो मुझे वेद, उपनिषद्, श्रीमद्भगवद्गीता जैसे ग्रंथों के बारे में अधिक जानकारी मिली और अधिक से अधिक जानने की जिज्ञासा हुई | छह माह तक प्रमुख्य दस उपनिषदों को निरंतर पढ़ते रहे और एक कलाकार होने के नाते अपने अंतरात्मा में कहीं न कहीं हर एक उपनिषद् का चित्रांकन भी होता गया तथा गुरुजनों के आशीर्वाद से कैनवास पर उकेरने का प्रयास किया| बाद में दस उपनिषद् के चित्रकला के साथ "दशोपनिषदों" के सारांश के साथ दुनिया का पहला 'डिजिटल प्रिंटेड एल्बम' के रूप में प्रकाशित हुआ, जिसका विमोचन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के वैदिक विज्ञान केंद्र के विद्वानों द्वारा किया गया |
लोगों द्वारा "दशोपनिषदों" एल्बम की बहुत सराहना हुई और एल्बम की कॉपी की भी माँग होने लगी, मगर एल्बम का खर्च बहुत अधिक होने के कारण जनमानस तक उसको पहुंचा पाना मुश्किल था। इसलिए "दशोपनिषद्" एल्बम का यह पुस्तक रूपांतरण आप सभी को सादर समर्पित है |