दिल से...
दिल से... समाज के प्रति लेखक के विचारों और दुनिया को देखने के अपने नज़रिए को पाठकों को सौंपने के उद्देश्य से लिखी गई किताब है। यह सामाजिक संरचना पर आधारित लेखों के माध्यम से पाठकों के दिलों में स्थान बनाने का वादा करती है। किताब के लेख समाज की उधेड़-बुन, प्रेरणादायी जीवन, राजनीतिक उठा-पटक, व्यापार आदि को नई दिशा देने जैसे महत्वपूर्ण विषयों के इर्द-गिर्द घूमते हैं।
दिल से... सिर्फ एक किताब ही नहीं, बल्कि अनुभव के साथ जाग्रत हुई सामाजिक संरचना के प्रति उन करोड़ों लोगों की आवाज़ है, जो अपनी सोच को शब्दों का रूप देने में कहीं न कहीं कमी पाते हैं। इस किताब को लेखक ने अपने पांच दशकों से अधिक के अनुभव को निचोड़ के रूप में पेश किया है। यह किताब विभिन्न लेखों के माध्यम से शिक्षा, राजनीति, समाज, संस्कृति, प्रेरणा और व्यवसाय संबंधी क्षेत्रों में लेखक के विचारों को सरलता से समझी जा सकने वाली भाषा में व्यक्त करती है। बात कोरोना काल में औंधी चोट खाई हुई शिक्षा की हो, या कलयुग में इंसानियत के बदलते रवैये की, भारत की सदियों से चली आ रही संस्कृति की हो या पृथ्वी के प्राणियों के प्रति विलुप्त होते सेवा भाव की, हर एक क्षेत्र के संबंधित लेख भावनाओं और विचारों के साथ बेहद खूबसूरती से पिरोए गए हैं। सामाजिक संरचना की नींव की मरम्मत करते और इसे मजबूत करते हुए यह किताब दिल छू लेने वाले लेखों के माध्यम से समाज के कुछ ऐसे अनछुए मुद्दों को भाव देने का कार्य करती है, जिसका विचार भी आम मस्तिष्क में मुश्किल से घर करता है। किताब के लेख सिर्फ प्रेरणादायक ही नहीं हैं, बल्कि समाज को एक नई दिशा, नई सोच देने का साहस भी रखते हैं।
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