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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh PalDr. Atul Malikram is a renowned Indian political strategist, PR consultant, author, philanthropist, and anger management expert. Born in 1969 in a business-class family in Gwalior, Madhya Pradesh, he entered the field of public relations in 1999 and founded PR 24x7 in 2006. Over the years, he has carved a distinct identity in Indian politics, particularly in Hindi-speaking states like Madhya Pradesh, Rajasthan, Chhattisgarh, and Uttar Pradesh. His sharp political insights have led to several accurate predictions, including the inclusion of the Scindia faction in the BJP and the BJP-led NDA secRead More...
Dr. Atul Malikram is a renowned Indian political strategist, PR consultant, author, philanthropist, and anger management expert. Born in 1969 in a business-class family in Gwalior, Madhya Pradesh, he entered the field of public relations in 1999 and founded PR 24x7 in 2006. Over the years, he has carved a distinct identity in Indian politics, particularly in Hindi-speaking states like Madhya Pradesh, Rajasthan, Chhattisgarh, and Uttar Pradesh. His sharp political insights have led to several accurate predictions, including the inclusion of the Scindia faction in the BJP and the BJP-led NDA securing 294 seats in the 2024 Lok Sabha elections.
Recognizing his contribution to social change, Dr. Atul Malikram has been honored with the prestigious Godfrey Phillips Red and White Gold Award. Recently, he was awarded the honorary Doctor of Political Science – Specialization in Political Strategy by California Public University, USA, for his exceptional expertise and research. His study, "Evolution of Political Parties: Manifestation in the Hindi Heartland After Emergency," was the basis for this prestigious recognition.
As a celebrated author, Dr. Atul Malikram has penned several widely appreciated books, including Dil Se, Gallan Dil Di, Dil Wil, Dil Dasht, and Kasak Dil Ki. Additionally, as an anger management expert, he is the founder of India’s first anger management café, "Bhadas," in Indore.
His social initiative, Being Responsible, is actively working on five major welfare programs, all provided free of cost. These initiatives include:
Care for Elders – A daycare center for senior citizens.
Tel-Maalish – Free massage services for the elderly.
Dana-Pani – A water and food provision drive for birds.
Chhatrachhaya – Shelter and basic aid for those in need.
Nange-Pair – Distribution of slippers, caps, raincoats, and sweaters to underprivileged children and women.
Dr. Atul Malikram is also actively contributing to India's Sustainable Development Goals (SDGs) set by the government. Through his #2030KaBharat campaign, he is working on key areas such as zero poverty, zero hunger, quality education, and prison reforms. His book Dil Mera highlights these crucial topics, further cementing his commitment to a progressive and inclusive India.
Achievements
'दिल से' का छठा संस्करण 'दिल मेरा' किताब सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों पर आधारित है, जिसमें सतत विकास के वर्ष 2030 के भारत के लक्ष्य को हासिल करने वाले प्रमुख विषय शामिल किए गए हैं। इसमे
'दिल से' का छठा संस्करण 'दिल मेरा' किताब सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों पर आधारित है, जिसमें सतत विकास के वर्ष 2030 के भारत के लक्ष्य को हासिल करने वाले प्रमुख विषय शामिल किए गए हैं। इसमें गरीबी, भूख, शिक्षा, जेल और अन्य प्रमुख मुद्दों का समावेश किया गया है, जो समाज की जटिलताओं और भविष्य के लिए आवश्यक बदलावों को उजागर करते हैं। इस किताब का उद्देश्य समाज के विभिन्न पहलुओं पर गहरी सोच और संवेदनशीलता को जागृत करना है, ताकि हम एक ऐसे भारत की कल्पना कर सकें, जो न सिर्फ आर्थिक, बल्कि समाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी उन्नत हो। इस किताब के लेखों के माध्यम से, मैं उन महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार करना चाहता हूँ, जो हमारे देश की वास्तविकता से जुड़े हैं और भविष्य के लिए जरूरी बदलावों का खाका प्रस्तुत करते हैं। समाज में व्याप्त विषमताओं को दूर करने, शिक्षा के स्तर को सुधारने और जेल व्यवस्था में सुधार की जरूरतों को उजागर करते हुए, 'दिल मेरा' एक प्रेरणा देने वाली यात्रा है। किताब का उद्देश्य पाठकों को सोचने पर मजबूर करना है, ताकि वे अपने दृष्टिकोण को बदलने और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित हों। 'दिल मेरा' सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि एक आवाज़ है, जो समाज के गहरे मुद्दों पर चर्चा करने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाती है।
'दिल से' का छठा संस्करण 'दिल मेरा' किताब सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों पर आधारित है, जिसमें सतत विकास के वर्ष 2030 के भारत के लक्ष्य को हासिल करने वाले प्रमुख विषय शामिल किए गए हैं। इसमे
'दिल से' का छठा संस्करण 'दिल मेरा' किताब सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों पर आधारित है, जिसमें सतत विकास के वर्ष 2030 के भारत के लक्ष्य को हासिल करने वाले प्रमुख विषय शामिल किए गए हैं। इसमें गरीबी, भूख, शिक्षा, जेल और अन्य प्रमुख मुद्दों का समावेश किया गया है, जो समाज की जटिलताओं और भविष्य के लिए आवश्यक बदलावों को उजागर करते हैं। इस किताब का उद्देश्य समाज के विभिन्न पहलुओं पर गहरी सोच और संवेदनशीलता को जागृत करना है, ताकि हम एक ऐसे भारत की कल्पना कर सकें, जो न सिर्फ आर्थिक, बल्कि समाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी उन्नत हो। इस किताब के लेखों के माध्यम से, मैं उन महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार करना चाहता हूँ, जो हमारे देश की वास्तविकता से जुड़े हैं और भविष्य के लिए जरूरी बदलावों का खाका प्रस्तुत करते हैं। समाज में व्याप्त विषमताओं को दूर करने, शिक्षा के स्तर को सुधारने और जेल व्यवस्था में सुधार की जरूरतों को उजागर करते हुए, 'दिल मेरा' एक प्रेरणा देने वाली यात्रा है। किताब का उद्देश्य पाठकों को सोचने पर मजबूर करना है, ताकि वे अपने दृष्टिकोण को बदलने और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित हों। 'दिल मेरा' सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि एक आवाज़ है, जो समाज के गहरे मुद्दों पर चर्चा करने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाती है।
Dil Goes on.., is the second vol. of My Dil Goes. an eloquent work, intricately conveys societal perspectives, aiming to carve a niche within readers' hearts by exploring the intricacies of social structures. Covering subjects like societal upheaval, inspirational living, political transformations, and business reorientation, the book serves as a resonant voice for the people. Authored by an individual with over two decades of experience, it condenses a
Dil Goes on.., is the second vol. of My Dil Goes. an eloquent work, intricately conveys societal perspectives, aiming to carve a niche within readers' hearts by exploring the intricacies of social structures. Covering subjects like societal upheaval, inspirational living, political transformations, and business reorientation, the book serves as a resonant voice for the people. Authored by an individual with over two decades of experience, it condenses a lifetime of insights into vivid portrayals of education, politics, society, culture, motivation, and business.
Beyond being a mere book, Dil Goes On.. serves as an invaluable companion for avid readers. Within its pages, it confronts the prevailing educational culture, advocating for necessary reforms. Moreover, it explores shifting perspectives and behaviors concerning our rich Indian heritage, delving into the intricacies of political structures and the dynamics of business.
With heartfelt articles, "Dil Goes On.." navigates through unconventional subjects, offering inspiration and boldly carving new pathways in societal discourse. It sheds light on unexplored horizons within a concise narrative, urging readers to contemplate fresh perspectives and embrace innovative ideas.
दिल दश्त, लेखक द्वारा प्रकाशित की गई पाँचवी पुस्तक है। इसके पहले लेखक की 'दिल से', 'दिल विल', 'गल्लां दिल दी' और अंग्रेजी संस्करण 'माई दिल गोज़' पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। दिल दश्त
दिल दश्त, लेखक द्वारा प्रकाशित की गई पाँचवी पुस्तक है। इसके पहले लेखक की 'दिल से', 'दिल विल', 'गल्लां दिल दी' और अंग्रेजी संस्करण 'माई दिल गोज़' पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। दिल दश्त पुस्तक लेखक के विचारों से ओतप्रोत है, जो विभिन्न लेखों के अनूठे समागम की पेशकश करती है। यह पुस्तक राजनीति, शिक्षा, प्रेरणा, समाज, संस्कृति और व्यवसाय जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर आधारित है। दिल दश्त के लेख समाज की उधेड़-बुन, देश में शिक्षा क्षेत्र में बदलाव की जरुरत, प्रेरणादायी जीवन, राजनीतिक उठा-पटक और व्यापार आदि को नई दिशा देने जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर प्रकाश डालते हैं।
दिल दश्त को समाज के प्रति लेखक के अनूठे विचारों और दुनिया को देखने के नज़रिए को पाठकों के सामने पेश करने के उद्देश्य से प्रकाशित किया गया है। समाज को लेकर अलग नज़रिया रखने वाले करोड़ों लोग, जो अपनी बात को शब्दों में नहीं पिरो पाते हैं, यह पुस्तक उनके विचारों को जाग्रत करने का काम बखूबी करती है। बात शिक्षा की हो या आधुनिक दुनिया में इंसानियत के बदलते रवैये की, विधानसभा चुनाव की सरजमीं में उथल-पुथल की हो या व्यवसाय को सफलता के लिए नए तरीकों को अपनाने की, पूरी दुनिया में प्रसिद्ध भारत की सदियों से चली आ रही संस्कृति को चक्की में पिसते देखने की हो या विभिन्न विचारधाराओं की आड़ में धर्मों के घूटते हुए दम की, इस पुस्तक में शामिल हर एक क्षेत्र के संबंधित लेख भावनाओं और विचारों के साथ बेहद खूबसूरती से पिरोए गए हैं। समाज को एक नई दिशा देने के लिए तत्पर यह पुस्तक अपने विशिष्ट लेखों के माध्यम से पाठकों के दिलों को गहराई से छू लेने का वादा करती है।
My Dil Goes.., an eloquent work, intricately conveys societal perspectives, aiming to carve a niche within readers' hearts by exploring the intricacies of social structures. Covering subjects like societal upheaval, inspirational living, political transformations, and business reorientation, the book serves as a resonant voice for the people. Authored by an individual with over two decades of experience, it condenses a lifetime of insights into vivid po
My Dil Goes.., an eloquent work, intricately conveys societal perspectives, aiming to carve a niche within readers' hearts by exploring the intricacies of social structures. Covering subjects like societal upheaval, inspirational living, political transformations, and business reorientation, the book serves as a resonant voice for the people. Authored by an individual with over two decades of experience, it condenses a lifetime of insights into vivid portrayals of education, politics, society, culture, motivation, and business.
More than a book, "My Dil Goes.." stands as an invaluable supplement for those cherishing the art of reading. Addressing pandemic-induced educational challenges, delving into India's ancient culture, and contemplating humanity's changing demeanor in the age of Kaliyuga, the book laments waning compassion towards Earth's creatures. Masterfully weaving these ideas together, the author revitalizes societal foundations.
Through heartfelt articles, "My Dil Goes.." tackles uncommon subjects, providing inspiration and daringly charting new paths in societal thought—illuminating unexplored horizons within a succinct narrative.
दिल विल, दिल से... का तीसरा संस्करण है। लेखक के विचारों से ओतप्रोत यह पुस्तक विभिन्न लेखों के अनूठे समागम को शामिल करती है, जो विधानसभा चुनाव 2023, राजनीति, शिक्षा, प्रेरणा, समाज, संस्क
दिल विल, दिल से... का तीसरा संस्करण है। लेखक के विचारों से ओतप्रोत यह पुस्तक विभिन्न लेखों के अनूठे समागम को शामिल करती है, जो विधानसभा चुनाव 2023, राजनीति, शिक्षा, प्रेरणा, समाज, संस्कृति और व्यवसाय जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर आधारित है। दिल विल के लेख समाज की उधेड़-बुन, देश में शिक्षा क्षेत्र में बदलाव की जरुरत, प्रेरणादायी जीवन, राजनीतिक उठा-पटक, व्यापार आदि को नई दिशा देने जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर बुने गए हैं।
दिल विल को समाज के प्रति लेखक के अनूठे विचारों और दुनिया को देखने के नज़रिए को पाठकों के सामने पेश करने के उद्देश्य से लिखा गया है। समाज को लेकर अलग नज़रिया रखने वाले करोड़ों लोग, जो अपनी बात को शब्दों में नहीं पिरो पाते हैं, यह पुस्तक उनके विचारों जाग्रत करने का काम बखूबी करती है। बात शिक्षा की हो या कलयुग में इंसानियत के बदलते रवैये की, विधानसभा चुनाव की सरजमीं में उथल-पुथल की हो या व्यवसाय को सफलता के लिए नए तरीकों को अपनाने की, पूरी दुनिया में प्रसिद्ध भारत की सदियों से चली आ रही संस्कृति को चक्की में पिसते देखने की हो या बेज़ुबान प्राणियों के लिए सेवा भाव रखने की, इस पुस्तक में शामिल हर एक क्षेत्र के संबंधित लेख भावनाओं और विचारों के साथ बेहद खूबसूरती से पिरोए गए हैं। इस पुस्तक के लेख सिर्फ प्रेरणादायक ही नहीं हैं, बल्कि समाज को नए विचार देने का साहस भी रखते हैं। समाज को एक नई दिशा देने के लिए तत्पर यह पुस्तक अपने विशिष्ट लेखों के माध्यम से पाठकों के दिलों को गहराई से छू लेने का वादा करती है।
गल्लां दिल दी, दिल से... किताब का दूसरा संस्करण है, जो विभिन्न लेखों के माध्यम से राजनीति, समाज और संस्कृति, शिक्षा और प्रेरणा, व्यवसाय तथा 2030 के भारत जैसे क्षेत्रों में लेखक के
गल्लां दिल दी, दिल से... किताब का दूसरा संस्करण है, जो विभिन्न लेखों के माध्यम से राजनीति, समाज और संस्कृति, शिक्षा और प्रेरणा, व्यवसाय तथा 2030 के भारत जैसे क्षेत्रों में लेखक के विचारों को शब्दों में पिरोती है। किताब के लेख समाज की उधेड़-बुन, प्रेरणादायी जीवन, राजनीतिक उठा-पटक, व्यापार आदि को नई दिशा देने जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर बुने गए हैं।
गल्लां दिल दी, समाज के प्रति लेखक के विचारों और दुनिया को देखने के अपने नज़रिए को पाठकों को सौंपने के उद्देश्य से लिखी गई किताब है। यह किताब गहन अनुभव के साथ जाग्रत हुई सामाजिक संरचना के प्रति उन करोड़ों लोगों की आवाज़ है, जो अपनी सोच को शब्दों का रूप देने में कहीं न कहीं कमी पाते हैं। बात शिक्षा की हो, या कलयुग में इंसानियत के बदलते रवैये की, भारत की सदियों से चली आ रही संस्कृति की हो या पृथ्वी के प्राणियों के प्रति विलुप्त होते सेवा भाव की, हर एक क्षेत्र के संबंधित लेख भावनाओं और विचारों के साथ बेहद खूबसूरती से पिरोए गए हैं। सामाजिक संरचना की नींव की मरम्मत और इसे मजबूत करते हुए यह किताब दिल छू लेने वाले लेखों के माध्यम से समाज के कुछ ऐसे अनछुए मुद्दों को भाव देने का कार्य करती है, जिसका विचार भी आम मस्तिष्क में मुश्किल से घर करता है। किताब के लेख सिर्फ प्रेरणादायक ही नहीं हैं, बल्कि समाज को नए विचार देने का साहस भी रखते हैं। सामाजिक संरचना पर आधारित लेखों के माध्यम से यह किताब पाठकों के दिलों में स्थान बनाने का वादा करती है।
दिल से...
दिल से... समाज के प्रति लेखक के विचारों और दुनिया को देखने के अपने नज़रिए को पाठकों को सौंपने के उद्देश्य से लिखी गई किताब है। यह सामाजिक संरचना पर आधारित लेखों के माध्
दिल से...
दिल से... समाज के प्रति लेखक के विचारों और दुनिया को देखने के अपने नज़रिए को पाठकों को सौंपने के उद्देश्य से लिखी गई किताब है। यह सामाजिक संरचना पर आधारित लेखों के माध्यम से पाठकों के दिलों में स्थान बनाने का वादा करती है। किताब के लेख समाज की उधेड़-बुन, प्रेरणादायी जीवन, राजनीतिक उठा-पटक, व्यापार आदि को नई दिशा देने जैसे महत्वपूर्ण विषयों के इर्द-गिर्द घूमते हैं।
दिल से... सिर्फ एक किताब ही नहीं, बल्कि अनुभव के साथ जाग्रत हुई सामाजिक संरचना के प्रति उन करोड़ों लोगों की आवाज़ है, जो अपनी सोच को शब्दों का रूप देने में कहीं न कहीं कमी पाते हैं। इस किताब को लेखक ने अपने पांच दशकों से अधिक के अनुभव को निचोड़ के रूप में पेश किया है। यह किताब विभिन्न लेखों के माध्यम से शिक्षा, राजनीति, समाज, संस्कृति, प्रेरणा और व्यवसाय संबंधी क्षेत्रों में लेखक के विचारों को सरलता से समझी जा सकने वाली भाषा में व्यक्त करती है। बात कोरोना काल में औंधी चोट खाई हुई शिक्षा की हो, या कलयुग में इंसानियत के बदलते रवैये की, भारत की सदियों से चली आ रही संस्कृति की हो या पृथ्वी के प्राणियों के प्रति विलुप्त होते सेवा भाव की, हर एक क्षेत्र के संबंधित लेख भावनाओं और विचारों के साथ बेहद खूबसूरती से पिरोए गए हैं। सामाजिक संरचना की नींव की मरम्मत करते और इसे मजबूत करते हुए यह किताब दिल छू लेने वाले लेखों के माध्यम से समाज के कुछ ऐसे अनछुए मुद्दों को भाव देने का कार्य करती है, जिसका विचार भी आम मस्तिष्क में मुश्किल से घर करता है। किताब के लेख सिर्फ प्रेरणादायक ही नहीं हैं, बल्कि समाज को एक नई दिशा, नई सोच देने का साहस भी रखते हैं।
'कसक दिल की' अतुल मलिकराम द्वारा लिखित 'दिल से...' किताब का पाँचवाँ संस्करण है। लेखक के विचारों से ओतप्रोत यह किताब राजनीति, शिक्षा, प्रेरणा, समाज, संस्कृति और व्यवसाय जैसे महत्वपूर
'कसक दिल की' अतुल मलिकराम द्वारा लिखित 'दिल से...' किताब का पाँचवाँ संस्करण है। लेखक के विचारों से ओतप्रोत यह किताब राजनीति, शिक्षा, प्रेरणा, समाज, संस्कृति और व्यवसाय जैसे महत्वपूर्ण विषयों को शामिल करती है। 'कसक दिल की' के लेख समाज की उधेड़-बुन, देश में शिक्षा क्षेत्र में बदलाव की जरुरत, प्रेरणादायी जीवन, राजनीतिक उठा-पटक, व्यापार आदि को नई दिशा देने के प्रयासों पर आधारित हैं।
इस किताब को लिखने का उद्देश्य समाज के प्रति लेखक के अनूठे विचारों और दुनिया को देखने के नज़रिए को पाठकों के सामने पेश करना है। समाज को लेकर अलग नज़रिया रखने वाले करोड़ों लोग, जो अपनी बात को शब्दों में नहीं पिरो पाते हैं, यह किताब उनके विचारों जाग्रत करने का काम बखूबी करती है। बात शिक्षा की हो या कलयुग में इंसानियत के बदलते रवैये की, लोकसभा चुनाव की सरजमीं में उथल-पुथल की हो या व्यवसाय को सफलता दिलाने के लिए नए तरीकों को अपनाने की, पूरी दुनिया में प्रसिद्ध भारत की सदियों से चली आ रही संस्कृति और संस्कारों को चक्की में पिसते देखने की हो या देश को आगे बढ़ाने में युवाओं के महत्वपूर्ण योगदान की, इस पुस्तक में शामिल हर एक लेख भावनाओं और विचारों का काफिला साथ लिए चलता है। अपने प्रेरणादायक लेखों के माध्यम से समाज को नए विचार देने का साहस रखने वाली यह किताब पाठकों के दिलों को गहराई से छू लेने का वादा करती है।
'कसक दिल की' अतुल मलिकराम द्वारा लिखित 'दिल से...' किताब का पाँचवाँ संस्करण है। लेखक के विचारों से ओतप्रोत यह किताब राजनीति, शिक्षा, प्रेरणा, समाज, संस्कृति और व्यवसाय जैसे महत्वपूर
'कसक दिल की' अतुल मलिकराम द्वारा लिखित 'दिल से...' किताब का पाँचवाँ संस्करण है। लेखक के विचारों से ओतप्रोत यह किताब राजनीति, शिक्षा, प्रेरणा, समाज, संस्कृति और व्यवसाय जैसे महत्वपूर्ण विषयों को शामिल करती है। 'कसक दिल की' के लेख समाज की उधेड़-बुन, देश में शिक्षा क्षेत्र में बदलाव की जरुरत, प्रेरणादायी जीवन, राजनीतिक उठा-पटक, व्यापार आदि को नई दिशा देने के प्रयासों पर आधारित हैं।
इस किताब को लिखने का उद्देश्य समाज के प्रति लेखक के अनूठे विचारों और दुनिया को देखने के नज़रिए को पाठकों के सामने पेश करना है। समाज को लेकर अलग नज़रिया रखने वाले करोड़ों लोग, जो अपनी बात को शब्दों में नहीं पिरो पाते हैं, यह किताब उनके विचारों जाग्रत करने का काम बखूबी करती है। बात शिक्षा की हो या कलयुग में इंसानियत के बदलते रवैये की, लोकसभा चुनाव की सरजमीं में उथल-पुथल की हो या व्यवसाय को सफलता दिलाने के लिए नए तरीकों को अपनाने की, पूरी दुनिया में प्रसिद्ध भारत की सदियों से चली आ रही संस्कृति और संस्कारों को चक्की में पिसते देखने की हो या देश को आगे बढ़ाने में युवाओं के महत्वपूर्ण योगदान की, इस पुस्तक में शामिल हर एक लेख भावनाओं और विचारों का काफिला साथ लिए चलता है। अपने प्रेरणादायक लेखों के माध्यम से समाज को नए विचार देने का साहस रखने वाली यह किताब पाठकों के दिलों को गहराई से छू लेने का वादा करती है।
Dil Goes on.., is the second vol. of My Dil Goes. an eloquent work, intricately conveys societal perspectives, aiming to carve a niche within readers' hearts by exploring the intricacies of social structures. Covering subjects like societal upheaval, inspirational living, political transformations, and business reorientation, the book serves as a resonant voice for the people. Authored by an individual with over two decades of experience, it condenses a
Dil Goes on.., is the second vol. of My Dil Goes. an eloquent work, intricately conveys societal perspectives, aiming to carve a niche within readers' hearts by exploring the intricacies of social structures. Covering subjects like societal upheaval, inspirational living, political transformations, and business reorientation, the book serves as a resonant voice for the people. Authored by an individual with over two decades of experience, it condenses a lifetime of insights into vivid portrayals of education, politics, society, culture, motivation, and business.
Beyond being a mere book, Dil Goes On.. serves as an invaluable companion for avid readers. Within its pages, it confronts the prevailing educational culture, advocating for necessary reforms. Moreover, it explores shifting perspectives and behaviors concerning our rich Indian heritage, delving into the intricacies of political structures and the dynamics of business.
With heartfelt articles, "Dil Goes On.." navigates through unconventional subjects, offering inspiration and boldly carving new pathways in societal discourse. It sheds light on unexplored horizons within a concise narrative, urging readers to contemplate fresh perspectives and embrace innovative ideas.
दिल दश्त, लेखक द्वारा प्रकाशित की गई पाँचवी पुस्तक है। इसके पहले लेखक की 'दिल से', 'दिल विल', 'गल्लां दिल दी' और अंग्रेजी संस्करण 'माई दिल गोज़' पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। दिल दश्त
दिल दश्त, लेखक द्वारा प्रकाशित की गई पाँचवी पुस्तक है। इसके पहले लेखक की 'दिल से', 'दिल विल', 'गल्लां दिल दी' और अंग्रेजी संस्करण 'माई दिल गोज़' पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। दिल दश्त पुस्तक लेखक के विचारों से ओतप्रोत है, जो विभिन्न लेखों के अनूठे समागम की पेशकश करती है। यह पुस्तक राजनीति, शिक्षा, प्रेरणा, समाज, संस्कृति और व्यवसाय जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर आधारित है। दिल दश्त के लेख समाज की उधेड़-बुन, देश में शिक्षा क्षेत्र में बदलाव की जरुरत, प्रेरणादायी जीवन, राजनीतिक उठा-पटक और व्यापार आदि को नई दिशा देने जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर प्रकाश डालते हैं।
दिल दश्त को समाज के प्रति लेखक के अनूठे विचारों और दुनिया को देखने के नज़रिए को पाठकों के सामने पेश करने के उद्देश्य से प्रकाशित किया गया है। समाज को लेकर अलग नज़रिया रखने वाले करोड़ों लोग, जो अपनी बात को शब्दों में नहीं पिरो पाते हैं, यह पुस्तक उनके विचारों को जाग्रत करने का काम बखूबी करती है। बात शिक्षा की हो या आधुनिक दुनिया में इंसानियत के बदलते रवैये की, विधानसभा चुनाव की सरजमीं में उथल-पुथल की हो या व्यवसाय को सफलता के लिए नए तरीकों को अपनाने की, पूरी दुनिया में प्रसिद्ध भारत की सदियों से चली आ रही संस्कृति को चक्की में पिसते देखने की हो या विभिन्न विचारधाराओं की आड़ में धर्मों के घूटते हुए दम की, इस पुस्तक में शामिल हर एक क्षेत्र के संबंधित लेख भावनाओं और विचारों के साथ बेहद खूबसूरती से पिरोए गए हैं। समाज को एक नई दिशा देने के लिए तत्पर यह पुस्तक अपने विशिष्ट लेखों के माध्यम से पाठकों के दिलों को गहराई से छू लेने का वादा करती है।
My Dil Goes.., an eloquent work, intricately conveys societal perspectives, aiming to carve a niche within readers' hearts by exploring the intricacies of social structures. Covering subjects like societal upheaval, inspirational living, political transformations, and business reorientation, the book serves as a resonant voice for the people. Authored by an individual with over two decades of experience, it condenses a lifetime of insights into vivid po
My Dil Goes.., an eloquent work, intricately conveys societal perspectives, aiming to carve a niche within readers' hearts by exploring the intricacies of social structures. Covering subjects like societal upheaval, inspirational living, political transformations, and business reorientation, the book serves as a resonant voice for the people. Authored by an individual with over two decades of experience, it condenses a lifetime of insights into vivid portrayals of education, politics, society, culture, motivation, and business.
More than a book, "My Dil Goes.." stands as an invaluable supplement for those cherishing the art of reading. Addressing pandemic-induced educational challenges, delving into India's ancient culture, and contemplating humanity's changing demeanor in the age of Kaliyuga, the book laments waning compassion towards Earth's creatures. Masterfully weaving these ideas together, the author revitalizes societal foundations.
Through heartfelt articles, "My Dil Goes.." tackles uncommon subjects, providing inspiration and daringly charting new paths in societal thought—illuminating unexplored horizons within a succinct narrative.
दिल विल, दिल से... का तीसरा संस्करण है। लेखक के विचारों से ओतप्रोत यह पुस्तक विभिन्न लेखों के अनूठे समागम को शामिल करती है, जो विधानसभा चुनाव 2023, राजनीति, शिक्षा, प्रेरणा, समाज, संस्क
दिल विल, दिल से... का तीसरा संस्करण है। लेखक के विचारों से ओतप्रोत यह पुस्तक विभिन्न लेखों के अनूठे समागम को शामिल करती है, जो विधानसभा चुनाव 2023, राजनीति, शिक्षा, प्रेरणा, समाज, संस्कृति और व्यवसाय जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर आधारित है। दिल विल के लेख समाज की उधेड़-बुन, देश में शिक्षा क्षेत्र में बदलाव की जरुरत, प्रेरणादायी जीवन, राजनीतिक उठा-पटक, व्यापार आदि को नई दिशा देने जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर बुने गए हैं।
दिल विल को समाज के प्रति लेखक के अनूठे विचारों और दुनिया को देखने के नज़रिए को पाठकों के सामने पेश करने के उद्देश्य से लिखा गया है। समाज को लेकर अलग नज़रिया रखने वाले करोड़ों लोग, जो अपनी बात को शब्दों में नहीं पिरो पाते हैं, यह पुस्तक उनके विचारों जाग्रत करने का काम बखूबी करती है। बात शिक्षा की हो या कलयुग में इंसानियत के बदलते रवैये की, विधानसभा चुनाव की सरजमीं में उथल-पुथल की हो या व्यवसाय को सफलता के लिए नए तरीकों को अपनाने की, पूरी दुनिया में प्रसिद्ध भारत की सदियों से चली आ रही संस्कृति को चक्की में पिसते देखने की हो या बेज़ुबान प्राणियों के लिए सेवा भाव रखने की, इस पुस्तक में शामिल हर एक क्षेत्र के संबंधित लेख भावनाओं और विचारों के साथ बेहद खूबसूरती से पिरोए गए हैं। इस पुस्तक के लेख सिर्फ प्रेरणादायक ही नहीं हैं, बल्कि समाज को नए विचार देने का साहस भी रखते हैं। समाज को एक नई दिशा देने के लिए तत्पर यह पुस्तक अपने विशिष्ट लेखों के माध्यम से पाठकों के दिलों को गहराई से छू लेने का वादा करती है।
गल्लां दिल दी, दिल से... किताब का दूसरा संस्करण है, जो विभिन्न लेखों के माध्यम से राजनीति, समाज और संस्कृति, शिक्षा और प्रेरणा, व्यवसाय तथा 2030 के भारत जैसे क्षेत्रों में लेखक के
गल्लां दिल दी, दिल से... किताब का दूसरा संस्करण है, जो विभिन्न लेखों के माध्यम से राजनीति, समाज और संस्कृति, शिक्षा और प्रेरणा, व्यवसाय तथा 2030 के भारत जैसे क्षेत्रों में लेखक के विचारों को शब्दों में पिरोती है। किताब के लेख समाज की उधेड़-बुन, प्रेरणादायी जीवन, राजनीतिक उठा-पटक, व्यापार आदि को नई दिशा देने जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर बुने गए हैं।
गल्लां दिल दी, समाज के प्रति लेखक के विचारों और दुनिया को देखने के अपने नज़रिए को पाठकों को सौंपने के उद्देश्य से लिखी गई किताब है। यह किताब गहन अनुभव के साथ जाग्रत हुई सामाजिक संरचना के प्रति उन करोड़ों लोगों की आवाज़ है, जो अपनी सोच को शब्दों का रूप देने में कहीं न कहीं कमी पाते हैं। बात शिक्षा की हो, या कलयुग में इंसानियत के बदलते रवैये की, भारत की सदियों से चली आ रही संस्कृति की हो या पृथ्वी के प्राणियों के प्रति विलुप्त होते सेवा भाव की, हर एक क्षेत्र के संबंधित लेख भावनाओं और विचारों के साथ बेहद खूबसूरती से पिरोए गए हैं। सामाजिक संरचना की नींव की मरम्मत और इसे मजबूत करते हुए यह किताब दिल छू लेने वाले लेखों के माध्यम से समाज के कुछ ऐसे अनछुए मुद्दों को भाव देने का कार्य करती है, जिसका विचार भी आम मस्तिष्क में मुश्किल से घर करता है। किताब के लेख सिर्फ प्रेरणादायक ही नहीं हैं, बल्कि समाज को नए विचार देने का साहस भी रखते हैं। सामाजिक संरचना पर आधारित लेखों के माध्यम से यह किताब पाठकों के दिलों में स्थान बनाने का वादा करती है।
दिल से...
दिल से... समाज के प्रति लेखक के विचारों और दुनिया को देखने के अपने नज़रिए को पाठकों को सौंपने के उद्देश्य से लिखी गई किताब है। यह सामाजिक संरचना पर आधारित लेखों के माध्
दिल से...
दिल से... समाज के प्रति लेखक के विचारों और दुनिया को देखने के अपने नज़रिए को पाठकों को सौंपने के उद्देश्य से लिखी गई किताब है। यह सामाजिक संरचना पर आधारित लेखों के माध्यम से पाठकों के दिलों में स्थान बनाने का वादा करती है। किताब के लेख समाज की उधेड़-बुन, प्रेरणादायी जीवन, राजनीतिक उठा-पटक, व्यापार आदि को नई दिशा देने जैसे महत्वपूर्ण विषयों के इर्द-गिर्द घूमते हैं।
दिल से... सिर्फ एक किताब ही नहीं, बल्कि अनुभव के साथ जाग्रत हुई सामाजिक संरचना के प्रति उन करोड़ों लोगों की आवाज़ है, जो अपनी सोच को शब्दों का रूप देने में कहीं न कहीं कमी पाते हैं। इस किताब को लेखक ने अपने पांच दशकों से अधिक के अनुभव को निचोड़ के रूप में पेश किया है। यह किताब विभिन्न लेखों के माध्यम से शिक्षा, राजनीति, समाज, संस्कृति, प्रेरणा और व्यवसाय संबंधी क्षेत्रों में लेखक के विचारों को सरलता से समझी जा सकने वाली भाषा में व्यक्त करती है। बात कोरोना काल में औंधी चोट खाई हुई शिक्षा की हो, या कलयुग में इंसानियत के बदलते रवैये की, भारत की सदियों से चली आ रही संस्कृति की हो या पृथ्वी के प्राणियों के प्रति विलुप्त होते सेवा भाव की, हर एक क्षेत्र के संबंधित लेख भावनाओं और विचारों के साथ बेहद खूबसूरती से पिरोए गए हैं। सामाजिक संरचना की नींव की मरम्मत करते और इसे मजबूत करते हुए यह किताब दिल छू लेने वाले लेखों के माध्यम से समाज के कुछ ऐसे अनछुए मुद्दों को भाव देने का कार्य करती है, जिसका विचार भी आम मस्तिष्क में मुश्किल से घर करता है। किताब के लेख सिर्फ प्रेरणादायक ही नहीं हैं, बल्कि समाज को एक नई दिशा, नई सोच देने का साहस भी रखते हैं।
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